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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palलेखक केशव नारायन का जन्म 3 सितंबर 1991 को उत्तर प्रदेश के एटा शहर में हुआ था। बहुत कम उम्र में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने से उनका जीवन संघर्षों से बीता, परंतु अपने संघर्षों को सफलता में परिवर्तित करने में वो माहिर हैं। यह लेखक केशव Read More...
लेखक केशव नारायन का जन्म 3 सितंबर 1991 को उत्तर प्रदेश के एटा शहर में हुआ था। बहुत कम उम्र में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने से उनका जीवन संघर्षों से बीता, परंतु अपने संघर्षों को सफलता में परिवर्तित करने में वो माहिर हैं। यह लेखक केशव नारायन की पहली किताब है। उनके अनुसार कुछ कथाएं बीते कल अर्थात् भूतकाल में समा जाती है और क्योंकि वह खुद अपनी कहानी संसार को बताना चाहती है इसलिए वह भूतकाल की अंधेरी गुफाओं से निकलकर भविष्य की कोख में जन्म लेती है और वह पुनः समय के चक्र में जाग्रत हो जाती है ऐसी ही महागाथा यह मुक्ति-प्रेम है जिसकी संपूर्ण कहानी लेखक केशव नारायन को स्वयं उनके एक वर्ष तक सपनो में किसी ईश्वरीय शक्ति ने सुनाई है।
लेखक केशव नारायन ब्लॉग, आर्टिकल्स, कहानी, कविताएं और नज्में भी लिखते हैं। काफिरों का खुदा, एहसास, दुनियां की नजरों में, भले तू खूबसूरत है आदि लेखक केशव नारायन की प्रमुख रचनाएं हैं। वह अपने Blogger.Com पर जज्बाती जल्लाद (Zazbaati Zallad) के नाम से वो समाज के अपवादों को व्यंगात्मक रूप से अपने लेख लिखते हैं। अपनी कविता में कल्पनाओं की रचनात्मक दुनियाँ को सच्चाई से जोड़ने में माहिर हैं। उनके अनुसार समस्त संसार एक रहस्य है, इसकी काल्पनिक कथाऐं अविश्वसनीय हैं। लेकिन अगर हमें खुद को बेहतर जानना हैं, तो हमें इसमें से सच्चाई को ढूंढना होगा।
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यह कहानी कलयुग के रक्षक प्रेमवीर और उसकी प्रेमिका मुक्ति की है। वो अजन्में थे, क्योंकि उन्होंने माँ के गर्भ से जन्म नहीं लिया। राक्षसों के राजा मृत्यु के दैत्य ने संसार में सबसे
यह कहानी कलयुग के रक्षक प्रेमवीर और उसकी प्रेमिका मुक्ति की है। वो अजन्में थे, क्योंकि उन्होंने माँ के गर्भ से जन्म नहीं लिया। राक्षसों के राजा मृत्यु के दैत्य ने संसार में सबसे खूबसूरत मुक्ति के साथ दुष्कर्म करने के इरादे से उसके प्रेमी युव्यान को मार डाला। तब ईश्वर ने मुक्ति के शरीर को पत्थर का बना दिया और उसमें युव्यान के दिल की धड़कन डाल दी I प्रेमवीर ने मुक्ति के प्यार की खातिर ईश्वर के बांयीं आँख से आँसू के रुप में निकलकर, अमरेन्द्रणी की चिता की आग से जन्म लिया, तो मुक्ति ने प्रेमवीर के प्यार की खातिर कुदरत की कोख से जन्म लिया।
एक ब्राह्मण रघुनाथ ने प्रेमवीर को पाला। मगर उग्र ने प्रेमवीर की तलाश में उन्हें और उनकी पत्नी को भी मार डाला।उग्र-मृत्यु के दैत्य की बेटी सम़ुदाती का बेटा था। ईश्वर ने युव्यान की धड़कन पत्थर की मुक्ति में डाल दी थी, इसलिए प्रेमवीर के रूप में जन्म लेने के बाद प्रेमवीर बिना धड़कते हुए दिल के साथ जिन्दा था। प्रेमवीर का एक घोड़ा था, जिसका नाम सम्भव था। जो अपनी मर्जी से इन्सान और घोड़ा बन जाता था। पत्थर बनी मुक्ति को जब प्रेमवीर ने पहली बार देखा, तो वो फिर से इन्सान बन गयी। पर किस्मत ने उन्हें मिलाते ही अलग कर दिया। प्रेमवीर की जिन्दगी में घटने वाली घटनाओं को मुक्ति अपने सपने में देख लेती थी।
यह कहानी दो प्रेमी और उनके न मरने वाले प्यार की है। उनके त्याग, बलिदान मिलकर बिछड़ने और एक साथ जीने के लिए पल-पल मरने की है। यह कहानी उनके एक दूसरे की खातिर कभी न खत्म होने वाले इन्तजार की है। यह कहानी कई राक्षसी राजा, उनके अत्याचार, उनकी अविश्वसनीय विनाशकारी ताकतों की है। यह कहानी कई अद्भुत योद्धाओं के शौर्य की भी है। लेकिन इस कहानी में सबसे ज्यादा दिल के करीब प्रेमवीर और मुक्ति के प्यार की दास्तान है।
यह काफी लम्बी कहानी है जिसके दस भाग हैं I यह पहले भाग का छोटा सा हिस्सा है।
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