प्रेम समस्त लोकों में विद्यमान है,और आदिकाल से लेकर अनंतकाल तक निर्मित हर जीव पर प्रेम की अनुभूति रहेगी| “प्रेम” इतना विस्तारवादी ढाई अक्षर का शब्द हैं जिसपर लिखना केवल प्रयास
मस्तिष्क तरंगिणी काव्य संग्रह मानव चेतना को जागृत कर मन को उद्वेलित करने व मन-हृदय को अपार हर्ष की अनुभूति है। इस संग्रह में प्रकृति के मानवीय आयामों को समाहित किया गया है।