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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palरिश्तें मनुष्य के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.... रिश्तें हमें त्याग करना सिखाते हैं, प्रेम करना सीखते हैं और एक दुसरे के दुखो में भी शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं..... इसलिए हमें हर रिश्ते की कदर करनी चाहिए....बहुत कम ही लोग होते है जिन्हें प्यार सम्मान और अपनेपन के साथ कोई रिश्ता मिलता है वो होता है मन का रिश्ता। क्या मन का रिश्ता गलत है?
मन के रिश्ते के लिए कोई तय उम्र बनी है?
क्या एक उम्र के बाद या शादी के बाद प्रेम गलत है?
तो मेरा जवाब है, नहीं...... यह कहीं से गलत नहीं है। मैं नहीं मानती कि प्रेम का कोई भी स्वरूप ग़लत हो सकता है। ये रिश्ते-नाते, बंधन और नियम-कानून सब इंसानों के बनाये हुए हैं मगर प्रेम नहीं। प्रेम ईश्वर का बनाया सबसे पवित्र भाव है। जो हमें पूर्णता की और ले जाता है। वैसे भी आप और हम कौन होते हैं ये तय करने वाले की प्रेम का ये स्वरूप जायज़ है और ये नाज़ायज़? कहां और, किस ग्रंथ या किताब में ये नियम लिखे गए हैं कि फलां उम्र के बाद आप प्रेम में नहीं पड़ सकते या शादी हो जाने के बाद आपके मन में किसी और के लिए 'प्रेम' की भावना नहीं जन्मेगी? लोग अक्सर कहते हैं कि फलां 'शादी-शुदा' होते हुए भी किसी और से प्यार करने लगा/करने लगी। मुझे कोई ये समझाओ कि क्या शादी का मतलब मन में उठने वाली तमाम तरह के भावनाओं का समाप्त हो जाना है या सारे आकर्षण सब मोह-माया से परे हो जाना है?जो रिश्ता कागज पर बना है मुझे लगता है कि उससे कई गुना ज्यादा मजबूत किसी के मन का रिश्ता होता है। पिछले किताब मे मैने केवल मन मे चल रहे प्रेम के भाव और मन की पीड़ा लिखी थी इस किताब मे मन का रिश्ता क्या होता है बस यही बताना चाह रही हू।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.नीता शुक्ला (बावरी जोगन)
इनका नाम नीता शुक्ला है। ये ३5 वर्षीय गृहणी है। इनका जन्म 24/8/1987 मे मुम्बई मे हुआ था।
ये मुम्बई मे पली-बड़ी है। इन्हे लिखने का शौक तो स्कूल के समय से ही था, पर सपने नही देखती थी की कभी मेरी भी किताब छपेगी या लेखनी जगत मे कभी इतना आगे बढ़ेंगी, क्योकी सपने देखने के उम्र मे ही ब्याह हो गया। पढ़ाई छूटी, मुम्बई छूटा तो साथ ही साथ लिखने का शौक भी छूटने लगा। ब्याह के बाद ये गांव ही रहने लग गई।
गांव बहुत ही पिछड़ा होने के कारण "लिखना" या लेखक/लेखिका क्या होता है किसी को पता ही नही।
फिर इनकी दुनिया बस इनके बच्चो और सास ससुर तक ही सिमित रह गई।बच्चे कुछ बड़े हुए तो फिर वक्त के साथ साथ इन्होने दोबारा लिखना शुरू किया। ख्वाहिश है कि बेटी को आसमां से भी ऊंचा देखने की। और बेटियों के प्रति समाज मे बदलाव की।
पहले ये अपनी रचनाएँ एक डायरी मे लिखा करती थी,फिर धीरे धीरे फेसबुक पटल पर लिखना शुरू किया और आज 100 से अधिक रचनाएँ लिख चुकी है । और इसी फेसबुक पटल से ही लोग इन्हे "बावरी जोगन" के नाम से जानने लगे। और आज इनकी रचनाएँ और कविताएँ your quote,Instagram और फेसबुक लिखी जाती है साथ ही साथ सैकड़ो से अधिक साझा संकलन मे ये अपनी रचनाएं दे चुकी हूँ। कुछ समय पहले इनकी एक किताब भी छपी "ख्वाहिशे मन की"।
इनको प्रेम,विरह,वेदनाएं और मन की बात लिखने का बहुत शौक है। लिखने के साथ साथ इन्हे किताबे पढने का भी बहुत शौक रहा है।
सामाजिक कार्य मे इनको समाज सेवा और गरीबों की मदद करना बहुत अच्छा लगता है। इच्छा है की खूब पैसे कमा कर एक वृद्धाश्रम खोले ताकी जितने बुजुर्ग हो सके उतने बुजुर्गों की सेवा कर सकूँ।
लेखनी जगत मे कुछ बड़ा करने की चाह रखती है साथ ही सबके "मन" की खुशी चाहती।
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