’’जनक दुलारी‘‘ किताब में बेटी अपने पिता की लाडली होती है इसका वर्णन हमारे सह-लेखकों ने अपने रचनाओं द्वारा प्रस्तुत किया है। पापा का साथ जिंदगी के हर पहलू पर असर डालता है। यह साथ जीवन का हर हिस्सा संवारता है। पापा कभी मन की करने की छूट देते हैं तो कभी बंदिशों से भरी हिदायतें भी। लेकिन रूखी सी हंसी और सख्ती ओढे़ व्यवहार के पीछे पिता के मन का गहरा प्रेम और चिंता ही छिपी होती है। बेटियाँ आज आगे बढ़ रही हैं। वे सफल हैं, आत्मविश्वासी हैं। इन सबके पीछे पिता के स्नेहिल संबंध की बड़ी भूमिका है। पापा के रिश्ते का लगाव और चाव इतना प्यारा और गहरा होता है कि शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। पिता के कम शब्द और गहरी आवाज अक्सर ये अहसास करवाते हैं कि बेटे और बेटियों को वे सुरक्षित और सफल देखना चाहते हैं।