उपोद्घात्
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गत वर्ष मेरी काव्य-यात्रा के कीर्तिमानों का वर्ष रहा। यदि मेरी व्याधियों ने कोई बाधा उपस्थित नहीं की तो मेरी काव्य-यात्रा गतिमान रहेगी ऐसा मेरा विश्वास है।
मुझे ज्ञात नहीं कि वर्ष २०२२ में कोई नया कीर्तिमान बन पाएगा अथवा नहीं।
वैसे भी गत कीर्तिमान भी अनायास ही बन गये थे। मेरा लेखन भी किसी कीर्तिमान हेतु नहीं हो रहा। मेरा लेखन स्वान्तःसुखाय और लोक-रंजन हेतु ही रहा है। आज इस यात्रा को ५५वर्ष हो गए हैं।
मेरा सामाजिक व साहित्यिक गतिविधियों में आना-जाना कई वर्षों से विरामित चल रहा है। मेरे पास अब लोग आते-जाते भी नहीं हैं।
किसी भी साहित्यकार के जीवन का यह दौर बहुत वेदनापूर्ण होता है।
यदा-कदा तीन अधिवक्ता-मित्र यथा श्री विनोद कुमार श्रीवास्तव, श्री हरी के. तोलानी व सुश्री कामिनी श्रीवास्तव आ जाते हैं जिनको मैं बहुत धन्यवाद देता हूँ।