इस पुस्तक को "मन का मित" के रूप में जाना जाता है .... एक संकलक के रूप में यह मेरी पहली पुस्तक है और मैंने सोचा कि एक लेखक की भावनाओं के बारे में जानने का सबसे अच्छा तरीका क्या है इसलिए इस पुस्तक मे प्यार, भावनाओं को परिभाषित किया है, एक लेखक के मन की बातें... इसलिए इस पुस्तक को "मन का मित" के नाम से जाना जाता है, आप इस पुस्तक को पढ़ने से लगातार आनंद पाओगे आपको बस ऐसा लगता है कि आप पुस्तक नहीं पढ़ रहे हैं आप प्रत्येक का मन पढ़ रहे हैं ... तो ढेर सारा प्यार दें और पढ़ने का आनंद लें....❤️❤️❤️
सह लेखक परिवार
अर्पिता सक्सेना, उषा श्रीवास्तव, शुभम सैनी "राही", बीगोम साजिदा एस, जोहाना मिराक्लाइन एसएस, मितेश वालेरा, जडेजा धर्मिस्ताबा, देनिश वी. संघानी, बृजेश ठक्कर , डॉ. हीरालकुमारी हितेंद्रकुमार सुथार (पीटी), नीता शुक्ला, त्रिभुवन गौतम, अनिल भट्ट, आदित्य आनंद, अंकिता नाहर, हेली वी शाह, कार्तिक चंद्रशेखर, मीत निकेशभाई अभानी