"ग़र ज़माने के समंदर में हो डूबना,
तो बिखरे पड़े हैं कई शोर यहां-वहाँ।
जिन्हें ख़ुद में हो डूबना उनकी ख़ातिर,
नदियों की लहरों का कलकल हो जाएँ।
बेहद मामूली से लगते कुछ ख़यालों ने सोचा,
क्यूँ न कभी गुच्छा बन, एक खूबसूरत ग़ज़ल हो जाएं।"
मामूली से लगने वाले ख़यालों, घटनाओं आदि का अक़्सर हमारे जीवन की दिशा तय करने में एक गूढ़ योगदान होता है। अधिकांशतः ये हमसे बड़ी आसानी से नज़रअंदाज़ हो जाते हैं।
‘नभ’ ने अपनी कविताओं और गीतों के ज़रिये, ऐसे ही कुछ विषयों को गहराई और गहनता के साथ बहुत साधारण शब्दों में पिरोया है। यह संग्रह प्यार, दुख, जीवन की जटिलता, प्रोत्साहन, गहरे आत्मविचार, और हम सभी में निवास करने वाले अडिग साहस का अन्वेषण करता है। इन पन्नों को पलटते समय, आपको प्रेम-विरह, आशा-निराशा और गहरे आत्मज्ञान का आभास होगा। इस माध्यम से, आपको एक दुनिया में डूबने का अनुभव होगा जहां सामान्य बातें जादुई हो जाती हैं। आप पाएँगे कि ये केवल कविताएँ नहीं, बल्कि मानव स्वभाव पर गहरा ध्यान और आत्मा की गहराइयों के खोजने के लिए एक आमंत्रण है।
विचारों और विचारधारा के सामर्थ्य को टटोलता यह संग्रह आपको जीवन के कई पहलुओं पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगा। एक नवोदित रचनाकार की उदित रचनायें, "मामूली ख़याल" के रूप में गुनी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत हैं ।
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