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Parchai / परछाई

Author Name: Kavishri Roshan Ji | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

पुस्तक “परछाई”  ऐसी सरचना है जिसमे आप सब अपने अक्स को जानेगे और मेरे यानी लेखक कविश्री रोशन जी के विचार आपको आपके जैसे ही लगेगे क्योकि इसमें लिखी हुई बाते काल्पनिक नहीं वास्तविक सत्य है और इस सत्य को सत्य ही लिखा है मगर स्थान के नाम परिवर्तन किये गय है जो कि गोपनीयता के आधार पर है ताकि किसी भी किरदार को आहात नहीं पहुचे और सत्य सबके जीवन को सदा रोशन करेI 

यह किताब में ऐसे दो सक्श का मिलन बताया है जो कभी अलग नहीं हुए थे बस कुछ पल के विराम के बाद फिर से मिले और बाते सारी सदा कायम रही और गरिमा का मान सम्मान भी कायम रहा और इसमें विरह रस को भी निस्वार्थ प्रेम के रूप में बताया गया है और दिलो को सदा जुड़े रहने का एक अनमोल सन्देश दिया है I

जीवन में कुछ दोस्त समय के साथ अलग होते है पर एक दिन जरुर मिल जाते है मगर वो दिन आने के लिए बहुत दिनों का इंतजार लगता है और उस इंतजार का इंतजार करना असम्भव जैसा होता है मगर दिल में अगर जोश है तो आपके सपने पुरे होंगे और मंजिल आपको जोर शोर से मिलेगी और आपके दर्द मुस्कराहट में बदल जायेगे I

तो आप इस किताब को अंत तक पड़े और ये सब विचार आपके जैसे ही लगेगे और मानो ये किताब आपके लिए ही लिखी हो और फिर से आभार व्यक्त करता  है मेरा मन आपको I

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कविश्री रोशन जी

पुस्तक “परछाई”  के रचियता कविश्री रोशन जी जो इंदौर मध्यप्रदेश के रहवासी है I इनके द्वारा सार और रोशनमय एकांकी संग्रह भी लिखे है और ये पुस्तक लिखने का उद्देश्य ये है कि जब दो पुराने घनिष्ट मित्र से मिलते है तो अपनी जिन्दगी की दास्तान को कैसे बया करते है क्योकि समय के साथ साथ हर इंसान को अलग होना पड़ता है और फिर समय ही दोनों का मिलन करवाता है और तब जो दिल फिर से जुड़ते है तो कभी नहीं अलग होते I

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