“एक जिंदगी ही बहुत होती है कुछ करने के लिए। रूद्रम ने ना लड़ना छोड़ा और ना हार मानी। मृत्यु सामने देखकर जो भयभीत हो जाए वो योद्धा नहीं हो सकता।
जब शरीर से रक्त बहता हैं तभी तो इतिहास बनता है। अपने घर अपनी दुनियां बचाने के लिए मनुष्य कई बार भगवान से भी लड़ चुका हैं। रूद्रम के सम्मुख भी आज वही स्थिति है।
परंतु रूद्रम ने अपनी लड़ाई स्वयं लड़ने का निश्चय किया। नर्क के दानव से, एक योद्धा की भांति। इतिहास बनाने के लिए संघर्ष करना ही पड़ता है”,