Share this book with your friends

Sree Sree Anukulchandra ke Jiwanbriddhiwadi Siddhant ka Multatwa / श्रीश्रीअनुकूलचन्द्र के जीवनवृद्धिवादी सिद्धान्त का मूलतत्त्व एक समाज वैज्ञानिक अध्ययन

Author Name: Dr. Srikumar Mukherjee | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

श्रीश्रीअनुकूलचन्द्र इस युग का एक अनन्य मानव प्रेमी और पूर्ण मानव शिक्षक के रूप में दुनिया के तमाम आधुनिक समस्याओं का एक निर्विरोध भौतिक समाधान दी है। इस पुस्तक में श्रीश्रीअनुकूलचन्द्रजी के जीवन-दर्शन आधारित वैचारिक भावना से आधुनिक सामाजिक समस्यायों का कारण तथा समाधान की दिशा में मिलने वाले पथनिर्देश द्वारा पाठकों को विशेष रूप से युवा मन में एक शोधात्मक चिंतन का संचार कर सकेगा। 

इस पुस्तक के लेखक डा० मुखर्जी प्रथम जीवन में भौतिकवादी दार्शनिक विचारधारा से प्रभावित थे, लेकिन श्रीश्रीअनुकूलचन्द्रजी के जीवनदर्शन में भौतिकवाद का नया स्वरूप की प्राप्ति से, उनके सिद्धान्त के प्रति आकृष्ट होने के पश्चात इसपर उन्होंने शैक्षिक शोध (PhD) सम्पन्न किया। इसलिए पुस्तक में धर्म और विज्ञान का समन्वय के साथ भौतिकवाद और अध्यात्मवाद का मिलन दिखता है। लेखक के अनुसार -“मैंने श्रीश्रीअनुकूलचन्द्रजी के धार्मिक विचारों में प्राचीन आर्य-संस्कृति के आधार पर एक अद्भुत क्रान्तिकारी समाज-वैज्ञानिक समाधानी दृष्टिकोण पाया, जो वर्तमान दुनिया को एक नया दिशा दे सकता है।" 

श्रीश्रीअनुकूलचन्द्रजी ने इसप्रकार भारत तथा विश्व सभ्यता को विकासशील बनाने का कार्यक्रम को अंजाम देने के लिए अतीत को पूरण करते हुए एक सम्पूर्ण रोडमैप प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक इसी प्रस्तुति का एक क्षुद्र दर्पण है।

Read More...

Ratings & Reviews

0 out of 5 ( ratings) | Write a review
Write your review for this book
Sorry we are currently not available in your region.

Also Available On

डा० श्रीकुमार मुखर्जी

यह पुस्तक डॉ. श्रीकुमार मुखर्जी द्वारा किए गए शोध कार्य ((पीएच.डी.) का एक संक्षिप्त निचोड़ है। लेखक डॉ. मुखर्जी दिल्ली पब्लिक स्कूल, सेल टाउनशिप, रांची, झारखंड, भारत में सूचना प्रौद्योगिकी संकाय में राज्य के एक 'श्रेष्ठ शिक्षक' से सम्मानित शिक्षक हैं। वह एक शैक्षिक आंदोलन "इंडोआर्यन मैन मेकिंग मिशन" (IM3) में शामिल हैं, जिसका उद्देश्य है बेहतर मानव संपद संरचना करना। इसी को कार्यरूप देने के लिये लोगों को "इंडोआर्य अस्तित्ववाद" से शिक्षित करने हेतु, उन्होंने एक ओपन-सोर्स वर्चुअल स्कूल 'इंडोआर्यन स्कूल ऑफ एच.आर.डी.' का स्थापना  किया हैं। मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में यह एक नया दर्शन है। उन्होंने स्वेच्छा से एक प्रशिक्षक (एस.पी.आर.) के रूप में मनो-आध्यात्मिक उपचार का कार्य करता है एवं एक ई-पेपर "द इंडोआर्यन एक्सिस्टेंशियलिज्म" के संपादक सह प्रकाशक भी हैं, जो एक दिव्य विश्व व्यवस्था का सपना देखता है।

Read More...

Achievements

+7 more
View All