श्रीश्रीअनुकूलचन्द्र इस युग का एक अनन्य मानव प्रेमी और पूर्ण मानव शिक्षक के रूप में दुनिया के तमाम आधुनिक समस्याओं का एक निर्विरोध भौतिक समाधान दी है। इस पुस्तक में श्रीश्रीअनुकूलचन्द्रजी के जीवन-दर्शन आधारित वैचारिक भावना से आधुनिक सामाजिक समस्यायों का कारण तथा समाधान की दिशा में मिलने वाले पथनिर्देश द्वारा पाठकों को विशेष रूप से युवा मन में एक शोधात्मक चिंतन का संचार कर सकेगा।
इस पुस्तक के लेखक डा० मुखर्जी प्रथम जीवन में भौतिकवादी दार्शनिक विचारधारा से प्रभावित थे, लेकिन श्रीश्रीअनुकूलचन्द्रजी के जीवनदर्शन में भौतिकवाद का नया स्वरूप की प्राप्ति से, उनके सिद्धान्त के प्रति आकृष्ट होने के पश्चात इसपर उन्होंने शैक्षिक शोध (PhD) सम्पन्न किया। इसलिए पुस्तक में धर्म और विज्ञान का समन्वय के साथ भौतिकवाद और अध्यात्मवाद का मिलन दिखता है। लेखक के अनुसार -“मैंने श्रीश्रीअनुकूलचन्द्रजी के धार्मिक विचारों में प्राचीन आर्य-संस्कृति के आधार पर एक अद्भुत क्रान्तिकारी समाज-वैज्ञानिक समाधानी दृष्टिकोण पाया, जो वर्तमान दुनिया को एक नया दिशा दे सकता है।"
श्रीश्रीअनुकूलचन्द्रजी ने इसप्रकार भारत तथा विश्व सभ्यता को विकासशील बनाने का कार्यक्रम को अंजाम देने के लिए अतीत को पूरण करते हुए एक सम्पूर्ण रोडमैप प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक इसी प्रस्तुति का एक क्षुद्र दर्पण है।