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40 से 40 करोड़…
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Book Description

अगर आप ज़िन्दगी के उस दौर से गुजर रहे है, जहाँ कुछ अच्छा  नहीं चल रहा, lockdown  में जॉब नहीं रहा, घर में पैसे नहीं बचे , कर्ज़दार आपके दरवाज़े पर है और आप परेशान हो रहे है , अगर आपको अपनी स्थति बहुत दयनीय महसूस  हो रही है और रोना आ रहा है तो मेरी माने और जितना रो सकते है रो लीजिये, फिर कभी न रोने के लिए । क्यूंकि अगर आपने ये किताब खरीदी है,या किसी भी जरिये से ये आपके हाथों में है तो ब्रह्माण्ड का इशारा समझिये, जिंदगी में फिर कभी रोने का मौका नहीं मिलेगा, फिर कभी आप अपने आपको मजबूर और लाचार नहीं समझेंगे ,फिर कभी न तो भगवान्  से अपने पैदा होने के लिए सवाल करेंगे  और न ही कभी किस्मत को दोष देंगे, और न ही कभी किसी धनवान और सफल इंसान को  देखकर अपनी लाचारी मह्सूस होगी। जीवन के जिस पड़ाव में आप है,अपने मन की तो आपने कर ही ली और अगर ये किताब आपके हाथों में है, इसका मतलब है की बदलाव की चाहत भी, है और ज़रूरत भी।   क्यूंकि इस ४० से ४० करोड़ के सफर में ज़िन्दगी तो बदलेगी और अच्छे के लिए बदलेगी ये तो तय है।