Book Description
साहित्य बहुत हीं सशक्त माध्यम है , ह्रदय की आवाज को बाहर लाने का. एक व्यक्ति अपनी बात को हमेशा बाहर नहीं ला पाता . बहुत सारे कारण होते हैं . जीवन में बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटती है जो मेरे ह्रदय के आंदोलित करती है. फिर चाहे ये प्रेम हो , क्रोध हो , क्लेश हो , ईर्ष्या हो, आनन्द हो , दुःख हो . सुख हो, विश्वास हो , भय हो, शंका हो , प्रसंशा हो इत्यादि, ये सारी घटनाएं यदा कदा मुझे आंतरिक रूप से उद्वेलित करती है. मै बहिर्मुखी स्वाभाव का हूँ और ज्यादातर मौकों पर अपने भावों का संप्रेषण कर हीं देता हूँ. फिर भी बहुत सारे मुद्दे या मौके ऐसे होते है जहाँ का भावो का संप्रेषण नहीं होता या यूँ कहें कि हो नहीं पाता. बहुत जगहों पे अन्याय होता है , भ्रष्टाचार होता है , जिसका विरोध नहीं कर पाता . पारिवारिवारिक, आर्थिक , सामाजिक मजबूरियाँ होती हैं जो एक व्यक्ति को बोलने से रोकती हैं . इन परिस्थियों में व्यक्ति क्या करे ? क्या अपनी आवाज को ताउम्र ह्रदय दबा कर रखे , या किसी अन्य तरीके की खोज बीन करे . इन्हीं परिस्थियों और अंतर्द्वंदों का नतीजा शायद साहित्य है . साहित्य कार किसी से लड़ता नहीं है और अपनी बात कह भी देता है , बिना किसी को चोट पहुंचाहते हुए . इन्ही तरह की परिस्थियों पे मेरी लेखनी मेरा साथ निभाती है और मेरे ह्रदय ही बेचैनी को जमाने तक लाने में सेतु का कार्य करती है. मेरे ह्रदय की आंदोलित अवस्थाओं का प्रतिफलन है ये छोटी छोटी हास्य व्ययांगतमक लघु कथाएँ जो मैं इस पुस्तक में प्रस्तुत कर रहा हूँ .