Book Description
सरदार जोध सिंह की कहानी असाधारण कहानी है, उनकी कहानी कामियाबी की गजब की कहानी है। उनकी कहानी में विभाजन की त्रासदी है, विस्थापित का दर्द है, शरणार्थी की पीड़ा है, अचानक रातोंरात सब कुछ खोने का दुःख है, फिर से सब कुछ पाने की कोशिश में किया हुआ संघर्ष है, संघर्ष से सफलता है, सफलता भी कोई मामूली सफलता नहीं, ऐतिहासिक सफलता है। इस बात में दो राय नहीं कि सरदार जोध सिंह की कहानी हर पीढ़ी के लोगों को प्रेरणा देने का दमखम रखती है। उनकी व्यक्तित्वा के एक नहीं बल्कि कई पहलू बेहद दिलचस्प हैं। उन्हें पढ़ाई-लिखाई नहीं आती थी, लेकिन कारोबारी हिसाब-किताब के महारथी थे। कभी स्कूल नहीं गए, लेकिन कई सारी शिक्षा संस्थाओं को बनाने में अहम भूमिका निभाई। सिख सरदार थे, पंजाबी थे, लेकिन बंगाल में अपना आशियाना और कारोबार जमाया। आजादी के समय भारत के विभाजन ही नहीं बल्कि इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद भड़के दंगों को देखा, सहा। वे कारोबारी तो थे ही, लेकिन उससे बड़े एक समाज-सेवी और परोपकारी इंसान भी थे। उनके घर जो भी आया वह खाली हाथ कभी नहीं गया। सरदार जोध सिंह के घर से निराश होकर कोई नहीं लौटा।