Book Description
देवभूमि हिमाचल निवासी श्याम लाल शर्मा की सतसई 'आत्मानुभूति' में प्रकाशित दोहे मनुष्य की आध्यात्मिक भावनाओं, सूक्ष्म संवेदनाओं, शब्द सौंदर्य बोध एवं जीवन से जुड़े गूढ़ रहस्यों को उद्घाटित करते हैं। अर्धसम मात्रिक छंदबद्ध दोहे पाठकों को अपने पारंपरिक स्वरूप से परिचित करवाने के साथ-साथ एक दिव्य अनुभूति भी देते हैं। अद्भुत भाव, लय, कवित्व, कल्पना, रस, चिंतन, अर्थ एवं संदेश के साथ इनमें जीवन का वह सार तत्व भी विद्यमान है जिसे प्राप्त करने के लिए हर मनुष्य लगातार प्रयासरत रहता है। इसके लिए वह तीर्थ भ्रमण, सत्संग, स्वाध्याय तथा अन्य भी कई शुभ कार्यों में संलग्न होता है, फिर भी, एक स्पष्ट दिशाबोध के अभाव में अपने लक्ष्य से कोसों दूर रहता है। लेखक दोहों के माध्यम से पाठकों को मनुष्य जीवन में लक्षित कुछ ऐसे दिव्य गुणों का स्मरण करवाता है जिन्हें प्राप्त करना मनुष्य का सर्वोच्च लक्ष्य है। साथ ही, वह उन्हें समाज के वर्तमान परिदृश्य से रू-बरू करवाते हुए उन अनुभवों से भी जोड़ता है जो उसने अपनी आध्यात्मिक साधना व संतों के दुर्लभ संग से पाए हैं। दोहे पाठकों के भीतर छुपी आध्यात्मिक भावना को उभारने और उसे उपयुक्त दिशा देने में सफल होते दिखाई देते हैं। यद्यपि यह एक साहित्यिक रचना है, तो भी, अपनी विशेष विषय-वस्तु के कारण अपनी एक अलग छाप छोड़ेगी, ऐसी आशा है।