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कैंसर का उपचार करें मूत्र चिकित्सा के साथ
कैंसर का उपचार करें मूत्र चिकित्सा के साथ
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Book Description

स्व-मूत्रचिकित्सा को "शिवाम्बु" कहते हैं। यह उपचार की एक प्राचीन पद्धति है, जोसदियों से अपना असर दिखाती आ रही है। प्राचीन काल में तमाम साधु और ऋषिमुनिमूत्र चिकित्सा को अपनाते थे। जैसा कि प्राचीन पुस्तक दमर तंत्र में लिखाहै, भगवान शिव ने स्वयं पार्वती माता को शिवाम्बु कल्प "मूत्र चकित्सा" कोअपनाने को कहाथा। स्व-मूत्र चिकित्सा का जिक्र 5000 वर्ष पुराने वेदों मेंदमर तंत्र में "शिवाम्बु कल्प विधि" के बारे में लिखा गया है। ईश्‍वर नेमनुष्‍य को एक बेहतरीन उपहार दिया है,  उसका स्वयं का जल "शिवाम्बु"। शिव कामतलब है लाभकारी, स्वास्थ्‍यप्रद, और अम्बु का मतलब है जल। उन्होंने "शिवाम्बु" को पवित्र जल कहा। "शिवाम्बु" (लाभकारी जल) एक संस्कृत शब्द है।जब कभी किसी मरीज को पता चलता है कि उसे कैंसर है, तब चिकित्सक एक डर पैदाकर देते हैं और मरीज से सर्जरी और कीमोथैरेपी करवाने को कहते हैं। इसपुस्तक का प्रकाशन हर व्यक्ति को बताने के लिये किया गया है कि हर कोई जिसेकैंसर की बीमारी है वे सर्जरी या कीमोथैरेपी से पहले "मूत्र चिकित्सा" कोअपनायें। जो पूर्ण रूप से सुरक्षित है और इसके कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं।यह कैंसर को नियंत्रित / उसका इलाज कर सकता है। यह पूर्ण रूप से नि:शुल्कहै। करोड़ों लोग मधुमेह के शिकार हैं वे भी मूत्र चिकित्सा को अपनाकर मधुमेह से निजात पा सकते हैं।