Book Description
इंतज़ार.... क्या आपने कभी किसी का इंतज़ार किया हैं? किसी अपने का। कई बार कुछ पलों का इंतज़ार ही मन को बहुत बैचैन कर देता हैं और यदि वही इंतज़ार कुछ पलों का नहीं, कुछ महीनों का भी नहीं बल्कि सालों का हो जाए, तो वो इंतज़ार नहीं रह जाता - सज़ा बन जाता है। ऐसी ही एक सजा देव भी काट रहा है। वो पिछले नौ सालो से अपने प्यार, अपनी ज़िन्दगी राधिका का इंतज़ार कर रहा हैं जो उसे बिना बताये, बिना कुछ कहे चुपचाप उसे छोड़ कर चली गयी। राधिका भी देव के बिना खुद को अधूरा ही समझती थी लेकिन कई बार हमारा वर्तमान ऐसे दोराहे पर लाकर खड़ा कर देता है जहाँ हम ये नहीं समझ पाते की कौन सी राह सही है और कौन सी गलत। हमें वक़्त और हालातों से समझौता करना पड़ता हैं और राधिका ने भी वक़्त और हालत से समझौता करके जो राह चुनी उसमे उसका हाथ देव से छूट गया। राधिका फिर से जीने की कोशिश कर रही थी मगर फिर उसकी ज़िन्दगी में कुछ ऐसा हुआ की वो खुद को फिर उसी जगह महसूस करने लगी जहाँ से उसने अपना नया सफ़र शुरू किया था.... ये एक खूबसूरत लव स्टोरी है जिसमे प्यार, इमोशंस और त्याग का समावेश है...ये मेरी पहली कोशिश है। उम्मीद करती हूँ कि आप सब इसे पसंद करेंगे।