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स्वयं का परिचय
स्वयं का परिचय
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Book Description

“स्वयं का परिचय” कविताओं का एक ऐसा संकलन है, जो मानव को मानवता की ओर ले जाता हैं I प्रस्तुत काव्य के माध्यम से देश काल की परिस्थितियों का सम सामयिक वर्णन किया गया हैं I यह एक ऐसा काव्य संग्रह हैं, जो मनुष्य के मन-मस्तिष्क को देवत्व की ओर प्रखर करने में सहायक हैं I जहाँ “स्वयं का परिचय” और “मैं भी कर्ण हूँ” व्यक्ति को अपने भीतर की शक्ति को जाग्रत करने की प्रेरणा देती हैं, वही दूसरी ओर “स्वर्ग की और : सैनिक”, “अस्त्र की वेदना” और “बेचारी माँ” जैसी कविताओं के माध्यम से एक सैनिक के जीवन को वर्तमान के धरातल पर उतरा गया हैं I हम अपने भीतर के सभी गुणों को कैसे मानवता को आगे बढ़ाने में सहायक बना सकते हैं, उन सभी गुणों को हम इस संकलन के द्वारा अपने भीतर जाग्रत कर सकते हैं I पौराणिक पात्रों के माध्यम से हम कैसे अपने अवगुणों पर विजय पा सकते हैं, यह हम “अभिमान मैं बड़ा हूँ”, “तरकस के बाण” “ध्रतराष्ट्र की वेदना” तथा “उजाले का अंतर्द्वंद” जैसी कविताओं में देख सकते हैं I वस्तुतः यह संकलन मानवता को उसके वास्तविक स्वरूप का आभास कराती हैं, जो उसे पशुत्व से ऊपर उठाकर एक नई पहचान देती हैं I यह काव्य संग्रह सभ्यता,संस्कृति, समाज,देशकाल,निर्माण और प्रलय को समेटे हुए एक सम्पूर्ण युग का वैचारिक संकलन हैं I