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Educational & Professional | 20 Chapters
Author: Ravindra Gorakh Rathod
Only best friend can understand thair friends problem. and I think " Ravindra Rathod" understand our problem and find a solution on one of common question of student how to study? And my friend write a book "gyan sutra : padhai ke" sikho,kaise sikhe? Wonderful! How to study? It is very common problem but it's iffect is very deep. if we know how to study proper we can learn any difficult subject also. Ravindra Rathod did a successful j....
मेरे गुरु
समर्पण
मेरे गुरु
[My suppoters] मेरे माता पिताजि
श्री .गवई सर [Dnyansagar primary school ]
नमस्कार...................
मैं रविंद्र गोरख राठोड़,
मेरे इस किताब "ज्ञान सूत्र: पढ़ाई के सीखो, कैसे सीखे?" को लिखने का उद्देश्य आपको कुछ सिखाना नहीं है। इस किताब का हेतु बस आपको इस ज्ञान से परिचित करना है के, कैसे सीखे? आमतौर पर इस विषय पर बहुत ही कम बोला जाता है। आश्चर्य की बात! हमें कैसे पढ़ना है यह स्कूल में भी नहीं बताया जाता, आपको 'पढ़ना है' बस यही बार-बार सुनने को मिलता है।
सीखना या अधिगम एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस समायोजन के दौरान वह अपने अनुभवों से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करता है।
शुरुआतमे मै मराठी लिखने या बोलने में हिचकिचा था क्योंकि मेरी मातृभाषा "बंजारा" है। जब मैं ज्ञानसागर प्राथमिक स्कूल में आया तो वहां मुझे 'श्री गवई सर' ने भाषण करना सिखाया, जब मैं बोलने लगा, वक्तृत्व स्पर्धा के लिए भाषण के लिए बाहर जाने लगा, तब मेरी मराठी सुधरने लगी और मेरी विचार करने की क्षमता भी बढ़ने लगी। जब मैं कॉलेज में आया मैंने बहुत सारे लोगों को पढ़ना शुरू किया, अब मैं बारीकी से सभी चीजों को देखने लगा। मैं जब भी किसी यूपीएससी टॉपर, JEE टॉपर, NEET टॉपर का इंटरव्यू देखता था तब उन सब में मुझे ये बाते कॉमन मिली उनका अपना शेड्यूल, निरंतरता, हर छोटी चीज पर ध्यान, उनकी पढ़ने की अलग नीति, उनका समय व्यवस्थापन। और हम इन चीजों को ज्यादा महत्व ही नहीं देते, ये मैंने पाया।
जब मैं छोटी चीजों को समझने समझने गया "लॉकडाउन" में, शुरुआत में तो मुझे हर चीज में अपनी खूबी मिली पर लिखने का तरीका, पढ़ने , लक्ष्य निर्धारित करने, नोट्स बनाने का तरीका और हर एक चीज में विज्ञान मैंने देखा। हर चीज को अगर हम दिल से करते हैं तो हमें हर चीज हमें आसान लगने लगती है।शिक्षा का उद्देश्य तथ्यों को सीखना नहीं होता है बल्कि शिक्षा का मुख्य दिमाग को प्रशिक्षित करना होता है। "एक व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की, जब उसने कभी भी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की यानी जब हम कुछ नया करते है तभी गलतियां होना स्वाभाविक है।" "आज पढ़ने वाला कल का लीडर होगा।"
मैंने सीखना कैसे है? इस विषय को लॉकडाउन 2020 का सारा समय दिया और हर एक चीज को समझने की कोशिश की, और वही इस किताब के माध्यम से मैं आपके सामने पेश करना चाह रहा हूं। इस सारे प्रक्रिया में मेरे सभी दोस्तों ने भी मुझे बहुत मदद की, और उनकी वजह से ही मैं हर एक चीज को बारीकी से समझ पाया ऋषिकेश बोरूडे (forensic science) समीर सय्यद (यूपीएससी aspirant) शुभम राठौड़ (b.com) Rohit shikre (b.pharm) मंगेश वाघ (12th) प्रीति धोंगड़े,नेहा देवकवाड (10th) विजय धोंगड़े (b.sc) जीवन राठोड़ (12 th) अभिजीत बनसोड, अभिषेक शिंदे, , सलमान पठान ( b pharm) Rahul pawarऔर मेरे सभी मित्रों से कुछ सीख कर या उनके प्रश्न पहचान कर, मैंने हर चीज के हर कोने को देखना शुरू किया।
इस किताब में मैंने अपने लक्ष्य निर्धारित करने से, लेकर पढ़ाई के सफर में आवश्यक हर चीजों को बहुत ही सरल शब्दों में और कम शब्दों में बताने की प्रामाणिक कोशिश की है।
मेरी यही राय होगी आप अपने जीवन में जो भी कर रहे हो, उन सारी चीजों को 'स्मार्ट' करने की कोशिश करो। जैसे, अगर आपको एक पेड़ काटना है तो ताकत से ज्यादा अपनी कुल्हाड़ी की आरी तेज करने पर ध्यान दो। क्योंकि अगर हमारी कुल्हाड़ी के आरी तेज है तो हम कम समय में किसी वृक्ष को काट सकते हैं।
इसी तरह अगर आपका सीखने का तरीका सही है तो आप कुछ भी सीख सकते हो। इस पर मुझे दृढ़ विश्वास है। इस किताब को पढ़ने के बाद आप अपना खुद का पढ़ने का नया तरीका बनाओ, उसे अपनाओ और पढ़ाई के सफर में एक नीति बनाकर चलो। अगर आप अपना तरीका बनाकर उस पर चलते हो तो आप अपने जिंदगी की चाबी अपने हाथों में लेते हो। मुझे पूरा यकीन है कि आप सफलता के शिखर पर पहुंच ही जाओगे।
क्योंकि,अगर आप किसी चीज को पूरी दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की साजिश में लग जाती है।
आपका,
रविंद्र गोरख राठोड़
‘'सपने वो नहीं होते जो नींद मे देखे जाते है,
सपने वो होते है जो नींद उड़ा देते है।’'
-डॉ ए.पी.जे.अब्दुल कलाम
जिंदगी मे अगर कुछ पाना है तो हमे ‘’बड़े लक्ष्य’’ की आवश्यकता अनिवार्य होती है,जैसे वायु जब सभी दिशा मे समान हो तो किसी एक चीजकों पूरी तरह नहीं हिला सकता किन्तु अगर, वायु एक ही दिशा मे आगे बढ़े तो प्रचंड शक्ति से किसिभी चीज को जड़ से उखाड़ सकता है।
हमारा लक्ष्य हमे जिस चीज मे ज्यादा रुचि है उसीसे सलग्न हो तो हम तेजिसे आगे जा सकते है।
बहोत सारे विद्यार्थी मित्रो का लक्ष्य निश्चित ही नहीं होता क्योंकि उन्होने ज़िंदगी को अभी तक वैसेही जिया होता है,
जैसा जिंदगी का प्रवाह होता है इस चीज का असर जीवन के दूसरे पड़ाव पर बहोत बुरा होता है।
अगर हमारे जीवन को हम 70%/30% का फॉर्मूला आप्लाय करे तो शुरुवाती हमारा जीवन विद्यार्थी दशा मे होता है, यहा पर हमारे पास दो पर्याय होते है।
1.बहोत मेहनत करे,ज्ञान हासिल करे।
2.मस्त जिंदगी को अपने ढंग से जिये, मौज मस्ती मे रहे।
अगर इस चीज को लेकर हम विचारमंथन करे तो इसका परिणाम बहोत दूरगामी होता है। अगर हम पहला पर्याय चुनते है तो हमारी 70% जिंदगी बेहतर गुजरती है। हमारा खुद पर एक विश्वास कायम रहता है। मगर दूसरा पर्याय जिंदगी का हम थोड़ी देर के लिए उठाते है, और फिर हमारे जीवन की सभी चिजे हमारे सोच के विरुद्ध घटने लगती है,कुछ लोग गिरकर संभल जाते है मगर कुछ अंदर से टूट जाते है ।
लक्ष्य कैसे चुने?
इतिहास में एक रोचक कहानी है,
Educational & Professional | 20 Chapters
Author: Ravindra Gorakh Rathod
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Gyan sutra : padhai ke
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