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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palआकांक्ष ३२ कविताओं का संग्रह है जो महामारी के दौरान लिखी गयी थी। ये समाज की गहरी दरारों का आत्मनिरीक्षण करता है और एक प्रगतिशील मानसिकता को उभारने का आकांक्ष रखता है। यह किताब विभिन्न प्रकार के भावनाओ को खोजती है और उसी पर निर्भर होके मनोहर प्रतीतियों का उत्पादन करती है। चाहे वो “लम्हे” हो जो ज़िंदगानी की खूबसूरती झलकती है या हो “सनक" जो प्रेमी की नज़रों से प्रेम की भावना को दिखलाता है। “पड़ाव" आपको महामारी के समय में ले जाता है और मजबूर करता है अज्ञात कहानियों के बारे में सोचने पर। यह किताब आपको आपके आस पास के बारे में सोचने देती है और करुणा, विश्वास, सहानुभूति और आत्म-साक्षात्कार के साथ छोड़ देती है।
निकिता ए
निकिता ‘हिस हाइनेस गवर्नमेंट लॉ कॉलेज’, एर्नाकुलम, केरल में कानून की छात्रा हैं। वह कविता को अभिव्यक्ति का सबसे अच्छा माध्यम मानती हैं। उन्होंने १३ साल की उम्र से कविताएं लिखना शुरू किया और हमेशा मानवीय भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए उत्सुक रही है।१५ साल की उम्र में, उन्होंने इसी विषय पर निर्भित, अपनी पहली पुस्तक का प्रकाशन किया। अब, इस किताब में भी उन्होंने ऐसी भावनाओं का प्रदर्शन किया है। यह संग्रह महामारी के दौरान लिखा गया था जिसके दौरान वो जीवन और भावनाओं की पेचीदगियों का निरीक्षण करने में सक्षम थी। वह इसमें प्रणवता का एक स्पर्श जोड़ने का प्रयास करती है, जिससे पाठक जीवन की कुछ अंतर्निहित घटनाओं के बारे में सोचने के लिए मजबूर हो जाता है।
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