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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palआरती अत्यंत प्राचीन शब्द है. आरती (Aarti) के महत्व की चर्चा सबसे पहले “स्कन्द पुराण” (Skand Puran) में की गयी है. इसका मतलब होता है किसी भी देवी-देवता की पूजा करने के बाद लयबद्ध तरीके से भगवान के आशीर्वाद का गान करना, उनका बखान करना और उनका धन्यवाद (Thanks To God) करना. आरती की प्रक्रिया (Method Of Aarti) में, एक थाल में ज्योति और कुछ विशेष वस्तुएं रखकर भगवान के सामने दाएं हाथ की तरफ घुमाते हैं. आरती की थाली में रखी हर एक सामग्री का अपना एक अलग महत्व होता है. सभी भगवान को अर्पित किए जाते हैं.
मान्यता है कि जिस घर में दोनों समय आरती होती है, वहां भगवान का वास होता है और भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं
न्यूज ट्रिगर
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