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Vivek SreedharAuthor of Ketchup & Curryअभिधा कि अभीवायक्ती अंकित मिश्रा कि पहली काव्य संग्रह है। इस किताब में अनेक तरह की कविता, मुत्तक मौजूद है जो हर आम व खास वायक्ती के जीवन पर आधारित है, और जो जिंदगी के कई गमगीन और हसीन लम्हों पर टिपनी करता है। अंकित मिश्रा कि कविताएं आम इंसान के जज़्बात पर आधारित है।
एक ढीठ है इसमें, कुछ मन कि बात है, कुछ हालात की है, पता नही क्या है, कुछ है जो दुनिया को बताना है लेकिन बता नही सकते जैसे ।
यह तुकबंदी भी है। परंपरा गत ज्यादा नही है। कभी कभी कहानियों को पंक्तिबद्ध करता हूँ।
मुझे ऐसा लगता है कि पाठक इन पंक्तियों से खुद जोड़ पाएंगे क्योंकि इनमें जीवन के ऐसे पहलू है जिनको कुछ पाठक देख चुके है , कुछ देखने वाले है एवं कुछ इस दौर से निकल रहे है।।
मैंने बस इसमे उस अभिधा या अनुभव को अभिव्यक्त करने की कोशिश की है जो बहुत से नही कह पाते या मन को मसोस के रह जाते है ,जिनके दिल के अरमान दिल में रहते है, कोशीश या की ठहरे हुए पानी मे जिसके अंदर एक भवर है उसको उठाने की कोशिश की है।।
खुद को ही विषय का केंद्र करके लिखा गया है। जो अपने पिता जी के एक उदाहरण के कारण हुआ है।
अंकित मिश्रा
नाम :- अंकित मिश्रा
जन्म :- 04/07/1994
जन्म स्थान :- लक्ष्मणपुर , जिला : चित्रकूट धाम, बाँदा, उत्तर प्रदेश
पढाई :- तिल्दा 12 , रायपुर( महाविद्यालय), छत्तीसगढ़,
रहवासी :- तिल्दा-नेवरा, रायपुर छत्तीसगढ़
पिता :- श्री कमलेश प्रसाद मिश्रा
माता :- श्री मति संगीता मिश्रा
प्रेरणा :- कव्वाली, शायरी, कविता सुनने से अच्छा लगता था तो खुद ही लिखना चाहा, और लोगो को शब्दों के माध्यम से जोड़ना चाहा।
" पहले दोहे या कुछ वजनी लाइन बोलना शुरू किया फिर अपने आप शब्द निकलने लगे, लोगो को बात पसंद आई तो लिखा। मैंने बहुत से कवि व कव्वाली एवं शायरों को सुना, मेरी लाइन में कोई एक तरफ की दिशा निर्धारित नही है। दिशा विहीन विषयों पर लिखता हुन।।
जो मैंने देखा , जो समझा , महसूस हुआ उसका रस या सार लिखता हूँ। और शब्दों को कही कोई घुमाओ नही देता।
कुछ समर्पित भी है, कुछ झुँझलाहट की है। कुछ देश की विषय में है। कुछ प्रेम कुछ विरह ओर विछोह के लिए।
मेरी पंकितयों में एक व्यक्ति कब कैसे कह से डरकर या संभलकर चलता है। भागता है लेकिन किस तरह फंसा हुआ है।
एक ढीठ है इसमें, कुछ मन कि बात है, कुछ हालात की है, पता नही क्या है, कुछ है जो दुनिया को बताना है लेकिन बता नही सकते जैसे ।
मुझे , सूरदास जी, गोस्वामी तुलसीदास जी, कबीर, रहिमन एवं रसखान, की कविता, फिर दादा हाथरशि, एवं अन्य जिनकी जीवनी पुस्तक में आती है वो बहुत अच्छी लगती हैं।।
मुझे hkp का थप्पा भी मिला है ना कि मैंने बनाया है।
धन्यवाद हर उस व्यावक्ति का जो जुड़ा है या जुदा है । जो आये और गए। "
~ अंकित मिश्रा HKP
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