You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रो.डॉ.के.आर. विट्ठलदास का लिखा यह शोध ग्रंथ भारतीय भाषाओं में रचित वैष्णव भक्ति साहित्य पर तमिलनाडु के वैष्णव भक्त आलवारों द्वारा रचित “नालायिर दिव्य प्रबन्धम” तथा बाद में तमिलनाडु में संस्कृत भाषा में रचित “श्रीमद् भागवत पुराण”- इन दोनों ग्रन्थों के गहरे प्रभाव पर, सविस्तार विचार प्रस्तुत करता है तथा अन्त में यह निष्कर्ष भी निकाला गया है कि नालायिर दिव्य प्रबन्धम एवं श्रीमद् भागवद् पुराण-ये दोनों ग्रन्थ भारतीय भाषाओं में रचित वैष्णव भक्ति साहित्य का मूल स्रोत एवं आधार ग्रन्थ रहे हैं। आलवारों का दिव्य प्रबन्धम् तमिल वेद के नाम से द्रविड प्रदेश में प्रसिद्ध है।
संक्षेप में कहा जाये तो विद्वान आलोचक डॉ. विट्ठलदास का सारा शोध-ग्रन्थ वैष्णव भक्ति का एक विश्वसनीय विश्वकोश माना जा सकता है।
वैष्णव भक्ति आन्दोलन को समुचित रीति से तथा सम्यक ढ़ंग से समझने के लिये यह शोध-ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है।
इस शोध-ग्रन्थ की और एक विशेषता है कि ग्रन्थकार ने तमिलनाडु में व्यवहृत तथा शौर-शेनी नागर-अपभ्रंश से उत्पन्न सौराष्ट्री भाषा के वैष्णव साहित्य का भी विस्तृत परिचय दिया है।
लेखक विश्वास करता है कि हिन्दी-संसार इस अभिनव प्रकाशन का समुचित स्वागत करेगा।
के. आर. विट्ठलदास
बहुभाषी डॉ. के. आर. विट्ठलदास तमिलनाडु के सरकारी कॉलेजों में हिन्दी अध्यापन कार्य से सेवानिवृत्ति के उपरान्त साहित्य सेवा में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। विज्ञान विषय का स्नातक होने पर भी आप की रूचि हिन्दी साहित्य के अध्ययन की ओर अधिक थी। डॉ. विट्ठलदास जी सौराष्ट्री, हिन्दी, तमिल एवं अंग्रेजी के विद्वान हैं। उनकी रचनाधर्मिता तमिल, हिन्दी, अंग्रेजी एवं सौराष्ट्री में समान रूप से दिखायी देती है। उनकी रचना आलवार और भारतीय वैष्णव साहित्य भारत की विविधता में एकता की कड़ियों को मज़बूत करनेवाले हैं।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.