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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘अन्तर्मन की लहरें’ पिछले चार पाँच वर्षों में लिखी गई मेरी कविताओं में से कुछ चुनिंदा कविताओं का दूसरा संग्रह है। सच कहूँ तो वस्तुतः ये उसी प्रवाह का अभिन्न अंग है जो 2015 में प्रवाहित होना आरंभ हुआ और मेरे प्रथम प्रकाशित कविता संग्रह ‘अन्तर्मन की रोशनी’ के रूप में सामने आया। यूँ कह सकते है कि ये संग्रह भीतर के उस प्रवाह की ही एक और लहर है। साथ ही मैं ऐसा समझता हूँ कि हम में से प्रत्येक के भीतर विचारों का, धारणाओं का, सपनों का और आस्थाओं का एक सागर सा लहराता है जिसमें समय समय पर छोटी बड़ी लहरें उठती रहती हैं जो भिन्न भिन्न मनुष्यों में भिन्न भिन्न रूपों में सामने आती हैं। मेरी कविताएँ लहरें हैं मेरे अन्तर्मन के सागर में प्रायः उठने वाली। इसलिए इस संग्रह को “अन्तर्मन की लहरें” का नाम दिया है। इसमें देवनागरी लिपि में लिखी गई हिन्दी और उर्दू भाषाओं की कविताएँ हैं। कुछ भोजपुरी भाषा की कविताएँ भी यहाँ संकलित की गई हैं। मन में भिन्न भिन्न विचारों पर उठने वाली लहरों सी ये कविताएँ विभिन्न विषयों पर हैं। आशा है ये लहरें पाठकों को भी उन्हीं भावों से सराबोर कर पायेंगी जिनसे प्रेरित हो कर ये मेरे अन्तर्मन में उठी।
आशुतोष मिश्र
आशुतोष मिश्र शिक्षा और व्यवसाय से सिविल अभियांत्रिकी से जुड़े हुये हैं और वर्तमान में बरेली (उ.प्र.) में सैन्य अभियंता सेवाओं में कार्यरत हैं। काव्य लेखन अपनी व्यक्तिगत अभिरुचि के अन्तर्गत करते हैं। शुरुआत से ही सभी तरह के रचनात्मक क्षेत्रों में और विभिन्न प्रकार के साहित्य के पठन में रुचि रही जो शायद आज काव्य लेखन के रूप में सामने है। 2015 में स्मार्ट फोन का उपयोग एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ जब कहीं भी, कभी भी कविता लिखना और संग्रह करना आसान हुआ। धर्म, दर्शन और इतिहास में हमेशा जिज्ञासा भरी रुचि रही। मन में उठे प्रश्नों के उत्तर तलाशते कब कविता लेखन में अध्यात्म को खोजने लगे ये पता भी न चला। श्री मिश्र हिन्दी, उर्दू, भोजपुरी और अंग्रेजी भाषाओं में कविता लिखते हैं। इस संकलन में हिन्दी, उर्दू और भोजपुरी भाषाओं की कविताओं का समावेश हैं।
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