You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमाँ शारदा को नमन करते हुए, साहित्यिक व सांसारिक परिवार का आभार प्रकट करते हुए “अनुरागी मन” की उड़ान को रेखांकित करता हुआ मेरा दूसरा काव्य संग्रह “अनुरागी मन” प्रस्तुत है आपके बीच।
परमपिता परमात्मा की असीम अनुकंपा से, मेरे सभी अपनों से मिली प्रेरणा से मन के सूक्ष्म भावों का अवलोकन कर जन साधारण की भावनाओं को प्रतिबिंबित करती यह कृति जन मानस के ह्रदय के तार झंकृत कर देगी ऐसा मेरा मानना व विश्वास है।
मैं डॉ दवीना अमर ठकराल “दिवि” विज्ञान संकाय से हिन्दी में पी.एच.डी का सफ़र तय करती हुई हिन्दी प्रवक्ता के रुप में सेवानिवृत्त हुई। अनेक मंचों से जुड़कर लेखन, काव्यात्मक लाइव प्रस्तुति, काव्य गोष्ठियों में सहभागिता, मंच संचालन, भारतीय संस्कृति को अपनाते हुए हर विशेष अवसर पर आयोजन का क्रियान्वयन करने का जुनून दिनचर्या का हिस्सा बन गया और सम्मानित व पुरस्कृत होते होते “स्वतंत्र लेखन मंच” की संचालिका के रुप में कार्यरत हूँ।
अनेक साझा संग्रह के बाद एकल काव्य संग्रह “प्रतिध्वनि” की गूँज के बाद अब “अनुरागी मन” उड़ान लेने को तत्पर है….
आप सबके सहयोग, आशीर्वाद व प्रोत्साहन से चिंतन और मनन का सफ़र जारी है…
साहित्य साधना के रूप में।
डॉ. दवीना अमर ठकराल
मैं डॉ दवीना अमर ठकराल “दिवि” विज्ञान संकाय से हिन्दी में पी.एच.डी का सफ़र तय करती हुई हिन्दी प्रवक्ता के रुप में सेवानिवृत्त हुई। अनेक मंचों से जुड़कर लेखन, काव्यात्मक लाइव प्रस्तुति, काव्य गोष्ठियों में सहभागिता, मंच संचालन, भारतीय संस्कृति को अपनाते हुए हर विशेष अवसर पर आयोजन का क्रियान्वयन करने का जुनून दिनचर्या का हिस्सा बन गया और सम्मानित व पुरस्कृत होते होते “स्वतंत्र लेखन मंच” की संचालिका के रुप में कार्यरत हूँ।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.