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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palबीज हूँ अदना सा…….
कभी चमकदार
कभी धूल में सना सा।
पालन में हो संवेदना
बस यही मेरी आवेदना
बनोगे गर मेरे बागबान
धरा को दे दूँगा धड़कन।
बीज हूँ अदना सा…….
रानू पाटनी
“मैं एक ऐसे विश्व की कल्पना करती हूँ जहाँ कला व विज्ञान का पूर्ण समन्वय हों।” ऐसा कहना है इस पुस्तक की लेखिका रानू पाटनी का जो कि पेशे से एक स्त्री कैंसर रोग विशेषज्ञा है। बालपन से ही उनका झुकाव साहित्य की ओर भी रहा है। कहानियों की किताबें पढ़ना उनका खास शौक था। अब उन्हें फिर से यह शौक पूरा करने का अवसर मिला है जिसके फलस्वरूप प्रकाकिशत होने वाली यह उनकी पहली गैर चिकित्सकीय पुस्तक है।
एक स्त्री कैंसर रोग विशेषज्ञा के रूप में कई वर्ष कार्य करने के कारण उनके हृदय में महिलाओं के लिए विशेष स्थान है। वे लोगों के व्यवहार व उनकी भावाभिव्यक्ति में भी विशेष रूचि रखती है। इस पुस्तक में लिखी कविताओं के माध्यम से उन्होंने महिलाओं के लिये अपने उद्गार व जीवन के अनुभवों को साझा किया है
अपनी व्यक्तिगत व पेशेवर अनुभूतियों द्वारा लोगों के दिलों तक पहुँचने की लेखिका की हार्दिक तमन्ना है।
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