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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palआज के तेजी से बदलते समय में हमारे विचारों में निजी स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के लिए ब्लॉग का अपना एक अलग ही संसार है। आज ब्लॉग के माध्यम से हम विभिन्न लोगों के ऐसे विचारों से भी अवगत हो रहे हैं जो न केवल संवेदनशील हैं, बल्कि अपने आसपास हो रही बहुत सी बातें को देखकर अन्तर्मन में आये बहुत सारे विचारों को कलमबद्ध करते हैं।
'भागो नहीं जागो' भी ऐसी ही कुछ बातों और विचारों पर लिखे मेरे ब्लॉग संकलन की पहली पुस्तक है। वैसे, आज का सच तो ये है कि हम सबकुछ जानते और समझते हुए भी कभी कुछ छोटी और खास बातों को अपने जीवन में अपना नहीं पाते हैं। लेकिन, यदि हम अपनी कुछ खास आदतों को कम करके उसकी जगह कुछ नये और सामान्य विचारों को अपनायें तो हम अपनी ज़िंदगी को बहुत सारी छोटी-छोटी खुशियों से भर सकते हैं, हो सकता है शुरू में हमारे लिए ये सोचना कि हम स्वयं को कैसे बदलेंगे, जरा सा अटपटा लगे लेकिन फिर भी हमें एक बार ऐसी कोशिश करके तो जरूर देखना चाहिए।
शैलेन्द्र भट्ट
शैलेन्द्र भट्ट का जन्म 2 जुलाई 1967 को वृन्दावन (जिला मथुरा, उत्तर प्रदेश) में हुआ।
शैलेन्द्र भट्ट के पिता प्रोफेसर श्री कृष्ण चैतन्य भट्ट 'राकेश' अपने समय के माने जाने साहित्यकार एवं प्रसिद्ध कवि थे, उन्होंने कला, साहित्य और संगीत को अपनी परम्पराओं से अपने जीन में प्राप्त किया है। बचपन से ही उनका झुकाव अपने पिता के पुस्तकालय में रखी साहित्य की पुस्तकों को पढ़ने की ओर था।
शैलेन्द्र भट्ट कला समीक्षक, कला प्रवर्तक, ब्लॉग लेखक, कला कार्यक्रम आयोजक हैं। इसके साथ ही वे साँझी, माँडना, उत्सव चौक, आरती डिजाइन, पुष्प स्थापना और समाज के जैसी मन्दिरों की लगभग पांच सौ वर्ष पुरानी पारम्परिक कला संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें ये कला अपने पूर्वजों, श्रीरघुनाथभट्ट जी महाराज से विरासत में मिली है, जो कि श्रीचैतन्य महाप्रभु के षट्-गोस्वामियों में से एक थे।
वे पारम्परिक कला संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पिछले चालीस वर्षों से काम कर रहे हैं। उन्होंने इन पारम्परिक कलाओं के लिए सामान्य जन में रुचि और समझ पैदा करने के लिए कई पहल की हैं। उन्हें वित्त और लेखा के पेशेवर के रूप में भारतीय एवं दुनिया की अग्रणी कम्पनियों के साथ जॉर्जिया, यूऐई, अज़रबैजान, टर्की, फ्रांस, ओमान, यमन, अंगोला, चीन, थाईलैंड, हांगकांग, इथियोपिया, साउथ कोरिया में कार्य करने का पच्चीस वर्षों का अनुभव है। उन्होंने जीवन को अपने तरीके से जीने के लिए कॉरपोरेट दुनिया को छोड़ अपने परिवार और पारम्परिक कला संस्कृति के बीच संतुलन बनाए रखने को प्राथमिकता दी।
शैलेन्द्र भट्ट को अपने लेखन को ब्लॉग के रूप में अभिव्यक्त करने की प्रेरणा अपने पुत्र के द्वारा मिली, जिसने उन्हें एक दिन वर्डप्रेस पर अपने लेखों को पोस्ट करके अपने सृजन को एक स्थान पर संग्रहीत करने के लिए कहा था। उनके ब्लॉग जीवन की वास्तविक घटनाओं और उनके चारों ओर हो रही विविधताओं से परिपूर्ण हैं। वह अपने विचारों में समसामयिक सामाजिक समस्याओं और उनके समाधान को कलमबद्ध करते प्रतीत होते हैं।
शैलेंद्र भट्ट 'ब्लॉग लेखन' को 'ई-योग' मानते हैं जो इक्कीसवीं सदी के तेजी से बढ़ते डिजिटल लाइफस्टाइल में उनके विचारों को सुव्यवस्थित करते हुये आत्म-साक्षात्कार को एक गति प्रदान करता है।
वर्तमान में शैलेन्द्र भट्ट जयपुर आर्ट समिट के संस्थापक निदेशक हैं, जयपुर आर्ट समिट का मुख्य उद्देश्य दृश्य कलाकारों, सांस्कृतिक कला, कला इतिहासकारों, आलोचकों, संस्थानों और दीर्घाओं में कला को बढ़ावा देने के साथ देश और विदेश की कला और कलाकारों को विश्व स्तर पर एक साथ इकट्ठा करना है ताकि देश में समकालीन कला के साथ-साथ पारम्परिक कलाओं के लिये भी अनुकूल वातावरण का निर्माण किया जा सके।
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