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BHARIYA VARNA SYSTEM AND BUDDHIST RELIGIONS / भारतीय वर्ण व्यवस्था और बौद्ध धर्म

Author Name: Kamlesh Paswan | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला ज्ञान धर्म और दर्शन है। ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में गौतम बुद्ध द्वारा बौद्ध धर्म का प्रारंभ किया गया था। उनके महापरिनिर्वाण के बाद उनके शिक्षा और उपदेशो को संगितियों के माध्यम से संकलित किया गया।आज भूमंडलीकरण के इस दौर में, जहाँ पूरा विश्व आतंकवाद,वैश्विक तापमान (global warming), प्राकृति आपदा, और भयावह  के इस दौर में बौद्ध धर्म सभी संशय का समाधान कर सकता है। और यह आज के समय में अधिक प्रासंगिक भी है।भारतीय जाति व्यवस्था भारत की राजनीतिक, सांस्कृतिक सच्चाई है। भारतीय समाज में हर जगह जाति व्यवस्था बैठा हुआ है। जाति श्रम की मर्यादा की संकल्पना के विरुद्ध कार्य करती है और ये हमारी राजनीतिक  दासता का मूल कारण रही है। प्राचीन काल से विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में बसने वाले समुदाय नस्लीय, क्षेत्रीय,आर्थिक एवं सामाजिक कारण से विभिन्न श्रेणीयों में विभाजित रहा है। आधुनिक गवेषणा से पता चलता है कि श्रेणी विभाजन जाति विभाजन में रूपांतरित होकर शासक एवं शोषक के रूप में प्रणति लाभ किया। उनका शोषण करने के लिए  विभिन्न तरह से, विभाजन के तरीके और बहाने ढूंढे गए। लेकिन जिसे हम जाति व्यवस्था के नाम से जानते है, वह भारत की ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया की सच्चाई है। अन्यथा हो सकता है  इस रूप में  बाकी देशों में जाति जैसा शब्द नहीं देखने को  मिलती हो

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कमलेश पासवान

कमलेश पासवान प्राचीन इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में नव नालंदा महा विहार के एक शोधार्थी हैं। वे इंडियन सोसाइटी ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सदस्य हैं। इन्होंने IGNOU से B.A और M.A की पढाई किए है एवं इतिहास विषय से यूजीसी नेट क्वालिफाई किया है।इन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पचास (50) से अधिक वेबिनार, संगोष्ठी, सम्मेलनों एवं कार्यशालों में भाग लिया है और शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। संपादित पुस्तक:–अनुसंधान और प्रकाशन नैतिकता।

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