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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसब्जी – गोभी, कटहल, बैगन, बोड़ा (लोबिया), सागा प्याज़, पर्वल, टमाटर, मशरूम, पनीर, नेनुआ (तोरी), काबुली चना, कद्दू, लौकी, कच्चा केला, शिमला मिर्च, साग, भुजिया, चोखा, फ्राई, कलौंजी और रिकवच। हर प्रकार की मौसमी सब्जी से बनाई जाने वाली 60 से ज्यादा सब्जियों की पाक-विधि।
दाल, चावल, रोटी – अरहर, चने, मूंग, मसूर और उरद से बनी हुई 10 से भी ज़्यादा दालें। सादा चावल, पुलाव, तहरी और तड़के वाला पुलाव तथा मिस्सी, मक्के और मिक्स दाल की रोटी की विधि।
पराठा, पूड़ी और कचोड़ी – आलू, गोभी, मूली, पनीर, हरी मटर और चने की दाल के पराठे की विधि। सादी, खस्ता और बेसन की पूड़ी। उड़द की, कच्चे पिट्ठे की, मूंग की और आलू की कचोडियाँ।
शलाद, रायता, दहि बड़ा, सूप, पना, मट्ठा, खिचड़ी, चिप्स, पापड़, कचरी, बड़ी, मुंगौरी, तिलौरी, दानौरी की 40 से भी ज्यादा पाक विधियाँ।
चटनी, अचार और सिरका – 13 तरह की चटनियाँ, 16 प्रकार के अचार और 4 तरह के सिरके।
मीठे पकवान – 6 प्रकार के हलुए, मोटी और महीन सेवई तथा 5 प्रकार के खीर बनाने की विधि। 3 प्रकार के मालपूए, शाही टोस्ट, 4 प्रकार के पुडिंग, पूरन पूड़ी, खजूर, 2 प्रकार के ठेकुए, लड्डू, कचरी और चिक्की बनाने की विधि।
चाट – सादा मटर, सूखा मटर (फ्राई), कचालू, 4 प्रकार की टिक्की, 2 प्रकार का पानी बताशा, दहि बड़ा और बेसन का सेव तथा 10 प्रकार की पकोड़ी बनाने की व्यापक विधियाँ।
समग्री और अनुपात के सुझाव – व्यंजन बनाने की विधि के साथ इस पुस्तक में, पाठकों के आसानी के लिए, व्यापक सुझाव दिये गए हैं जो पाठक को सही मात्रा और अनुपात में भोजन बनाने और अपने परिवार और मेहमानों को सही प्रकार से भोजन कराने में मदद करेगा।
पाठकों को नाश्ता, खाना, सफर के नाश्ते और खाने में क्या क्या होना चाहिए इसके बारे में सुझाव दिये गए हैं।
इन सब के अलावा, खाना बनाने से संबन्धित सामाग्री का अनुपात कैसा हो और खाना बनाने से संबन्धित कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिये गए हैं जिससे भोजन की गुडवत्ता और स्वाद को बढ़ाया जा सके।
सुमन श्रीवास्तवा
लेखिका मूलरूप से बिहार के निवासी, स्व. स्वामी ब्रह्मानन्द जी के सुपुत्र स्व. डा. आत्मानन्द जी और सरस्वती प्रसाद की सुपुत्री स्व. श्रीमती फूलकुमारी देवी की पुत्री हैं। दोनो ही परिवारों का कार्य क्षेत्र बिहार से दूर था। ब्रह्मानन्द जी खानपुर कन्या गुरूकुल के संस्थापक बने इस नाते उनके पुत्र की शिक्षा गुरूकुल कांगड़ी में हुई, पांच साल में दाखिला तथा 25 साल में स्नातक होकर निकले। स्व. डा. आत्मा नन्द जी का कार्य क्षेत्र पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मे रहा, वे वहाँ के धुनमुन दास चिकित्सालय में नियुक्त हुए।
स्व. श्रीमती फूल कुमारी देवी के पिता स्व. सरस्वती प्रसाद जी रेलवे के उच्च पद पर कार्य रत थे इस कारण आप का कार्य क्षेत्र बंगाल था। फूलकुमारी देवी जी की शिक्षा तथा लालन पालन बंगाल में हुआ।
स्व. आत्मानन्द तथा फूलकुमारी देवी जी के विवाह के पश्चात आप लोगो ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहना निश्चय किया। मैं आप दोनो की तीन पुत्रीयों तथा एक पुत्र में से सबसे छोटी पुत्री सुमन श्रीवास्तव हूँ।
बावन साल की अल्पायु में पिता की मृत्यु के कारण पिता की शक्ल तो मुझे याद नही परन्तु माता श्रीमती फूलकुमारी देवी जी जितने बडे़ परिवार की बहू तथा बहुत बड़े वैद्य की पत्नी थी उतनी ही गम्भीर, धैर्यवान, गुणी और तपस्विनी थी, उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। मेरे पास उनके वर्णन कर पाने के लिए शब्द नहीं है।
दोनों ही परिवार मूल रूप से बिहार के थे पर कार्य क्षेत्र पंजाब तथा बंगाल और रहना उत्तर प्रदेश मे हुआ, इस कारण बिहार, बंगाल, पंजाब तथा उत्तर प्रदेश के व्यंजनों का संग्रह मेरे घर में था। मैने जो कुछ सीखा वो अपनी माँ से सीखा, वो मेरी मार्ग दर्शक थी।
उम्र के इस पड़ाव तक मैनें जो सीखा वो अपनी इस पुस्तिका में रखने का प्रयास कर रही हूँ। आशा है पढ़ने वाला व्यक्ति भी इन व्यंजनो से आनन्द उठाएगा।
यह पुस्तिका माता स्व. श्रीमती फूलकुमारी देवी जी को समर्पित है।
सुमन श्रीवास्तव
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