Share this book with your friends

Darkte Ehsaas / दरकते एहसास Ghazal Sangrah/ ग़ज़ल संग्रह

Author Name: Dr. Manju Johri 'Madhur' | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

दरके अहसास हो गए

 

तो दरके अहसास हो गए

 

मिलीं दर्द की जब सौगातें,

टूटे सब विश्वास हो गए।

 

धीर बंधाता कौन नयन को,

झूठे ये मधुमास हो गए।

 

प्रेमिल पथ में आशाओं की

बाट जोहते समय थक गया।

 

पीर हो गई पर्वत सी अब,

सुख सारे संत्रास हो गए ।

 

घातों-प्रतिघातों को सहतीं,

ज़र्ज़र होती मर्यादाएं।

 

औने-पौने दाम बिक रहे,

रिश्ते सब परिहास हो गए।

 

जिद पर अश्रु अड़े हुए हैं,

नैनों से बाहर आने को।

 

शिथिल हुईं हैं मनोकामना,

मूक सभी उल्लास हो गए।

 

जंज़ीरों में बंधे हुए हैं,

नैतिकता की बात करें क्या।

 

संबोधन भी हुए हैं झूठे,

तो दरके अहसास हो गए ।

 

डॉ. मंजु जौहरी 'मधुर’

Read More...
Paperback
Paperback 290

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

डॉ. मंजु जौहरी 'मधुर'

डॉ मंजु जौहरी 'मधुर'
(स्वतंत्र लेखिका ,आलोचक एवं समीक्षक)
जन्म -29  जुलाई 
स्थान -इटावा ,
माता- श्रीमति माया सक्सेना
पिता-श्री इकबाल बहादुर सक्सेना।
पति -श्री अजय जौहरी 
शिक्षा-एम०ए० हिंदी, संगीत, (वादन) पी०एच०डी  
(मानद) 
विद्या वाचस्पति.बी०एड०

संप्रति--- व्याख्याता  हिंदी ,संगीत (पूर्व में)

 

 

Read More...

Achievements