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Darpan / दर्पण Meri Priya Rachnayein / मेरी प्रिय रचनाएँ

Author Name: Hanuman Gope | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

दर्पण “मेरी प्रिय रचनाएँ” हनुमान जी का पहला काव्य संग्रह है। उनकी ये  रचनाएँ मन में उठने वाले भावों का शाब्दिक चित्रण हैं और समाज का प्रतिबिम्ब दिखाने वाला दर्पण है।

इस काव्य पुस्तक में आप जीवन के भिन्न भिन्न पहलुओं, रिश्ते नातों से जुड़े भाव व् कल्पना से सजी कविताएँ पायेंगे। समाज में व्याप्त समस्याओं पर भी कविता के माध्यम से व्यंग्य किया गया है व उनसे उभरने के उपायों पर भी चर्चा की गयी है। कुछ राजनीतिक बिन्दुओं पर भी चुटकियाँ ली गयी हैं जिनकी भाषा शैली अत्यंत सरल व् स्पष्ट  है।

दर्पण “मेरी प्रिय रचनाएँ” में कवि ने अपने जीवन में मिली असफलताओं तथा उनसे उभरने हेतु आत्म शक्ति जागृत करने वाले छोटे मोटे अनुभवों को कुछ प्रेरणादायी कविताओं के माध्यम से आप सभी के साथ साझा किया है। उनकी ये कविताएँ सभी उम्र के पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करतीं हैं।

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हनुमान गोप

श्री हनुमान गोप का जन्म उत्तर प्रदेश के अंतर्गत चक्मलुक गाँव, पोस्ट सिखड़ी, जिला गाजीपुर में सामान्य परिवार में हुआ था।

आरंभिक शिक्षा होली क्रोस स्कूल, घाटोटांड, वेस्ट बोकारो, जिला रामगढ़ (झारखण्ड) में मिली, फिर ये ग्वालियर के बोस्टन कॉलेज, जीवाजी यूनिवर्सिटी में दाखिल हुए, जहाँ से इन्होंने बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

फिर इन्होंने झारखण्ड के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान बी आई टी मेसरा, रांची से वित्तीय प्रबन्धन में एमबीए की डिग्री प्राप्त की।

तत्पश्चात इनका चयन आईडीबीआई बैंक में सहायक प्रबंधक के  पद पर हुआ। आज आईडीबीआई बैंक में ये शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं।

बचपन से ही इन्हें लिखने का शौक रहा है। कई पत्र पत्रिकाओं में इनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहीं हैं।

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