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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइश्क़ न उम्र समझता है न मज़हब, न सब्र समझता है न कसब,
वो तूफान की तरह आता है, और फना होना चाहता है।
निगाहों से बयाँ-ए-जज़्बात करता है, खामोशियों को सुकून से पढ़ता है।
………….
इसे रब की मेहर कहें या कहर, जब मुक्कमल न होना था तो क्यूँ दिलों के कारोबार हुए?
इस पूरी कायनात में वो कौनसा रंग है जो सब को अपने रंग में रंग लेता है? वो कौनसा एक ऐसा एहसास है जो सब से खास है? वो है इश्क़, प्यार, मोहब्बत, प्रेम; और भी न जाने कितने ही खूबसूरत नाम हैं इस एक एहसास के | किसी के लिए इश्क़ सुकून है तो किसी के लिए इश्क़ जुनून है | किसी के लिए बहती हवा है तो किसी के लिए ठहरा किनारा | किसी के लिये सैलाब है जज़्बात का तो किसी के लिये दिल की कशमकश| इश्क़ कभी हमसाया बन ताउम्र साथ रहता है तो कभी हमदर्द बन कर दिल में रह जाता है |
ऐसे ही इश्क़ का तराना है दास्तान-ए- इश्क़
अर्पिता गजरिया
दास्तान-ए- इश्क़ की कवयित्री अर्पिता गजरिया भाटिया का जन्म राजस्थान के जोधपुर शहर में हुआ है | इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्यूनिकेशन इंजिनीयरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के उपरांत ये लगभग पिछले दो दशकों से वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैँ |
जहाँ एक ओर साहित्य पढ़ना इनके मन को एक असीम ऊर्जा प्रदान करता है वहीं दूसरी ओर सृजनात्मक लेखन इनकी संजीवनी है जो इनकी कलात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाता है |
वो अपनी इस पहली किताब दास्तान-ए- इश्क़ के साथ आप के बीच उपस्थित हैँ| इस किताब में इन्होनें अपनी कविता को एक सम्पूर्ण कहानी के रूप में पिरोया है | इनकी रचनाओं में भाषा की एक खास मिठास है जो कि हिन्दी एवं उर्दू ज़ुबान का मिश्रण है और जिसमें सरल एवं दिल को छू जाने वाली खनक है |
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