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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रस्तुत किताब, समय-समय पर मन में उठाने वाले भावों, विचारों एवं अनुभुतिओं को शब्दों में पिरोये गएँ गीत, ग़ज़ल एवं मुक्तकों का संग्रह हैI मेरा गाँव नदी के ठीक किनारे स्थित हैI पहले के समय में नदी के किनारे बड़ा सा पत्थर का टुकड़ा रखा होता था, उस पर कपड़ा साफ करने के उद्देश्य सेI उस पत्थर को देख कर जो भाव उठा उससे “शांत रहता है किसी कि याद में, घाट पर बैठा है पत्थर आज भी“ की रचना हो गईI यह गीत आपको अपनी कोई कहानी जरूर याद दिलाएगाI कोई विरहिन दीपावली के दिनों में अपने परदेशी साजन को याद करती है, उसके मन में आने वाले भावों को गीत में पिरोया गया हैI मैंने वो जमाना देखा है जब दुल्हन शादी के बाद डोली में बैठ कर पीहर के घर जाती थी “नियराईल साजन क गावं रे सजनी” की रचना हुई I इन कविताओं की रचना, मूलतः मैंने स्वांतह सुखाय हेतु किया हैI पर मुझे पूरा उम्मीद है कि- पाठक को अपने जीवन की भी थोडी-बहुत झलक जरूर मिलेगी I
मेवालाल गुप्ता
बचपन से ही साहित्यिक अभिरुचि, कविता, गीत ग़ज़ल लेखन इनका शौक हैI यौवन काल में वायु सेना के माध्यम से देश की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके मेवालाल गुप्ता, सेवा के दौरान रक्षा पदक एवं संग्राम पदक से भी सम्मानित हुए हैंI गीत,ग़ज़ल, कहानी एवं मुक्तक के माध्यम से अपने विचारों को आसान शब्दों में पिरोना इनका शौक हैI
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