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Din Pratidin / दिन प्रतिदिन

Author Name: Arun Gupta | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

मेरी किताब, मेरी कहानियां सिर्फ मुझ तक सीमित नहीं हैं। ये समाज के हर उस व्यक्ति की कहानी हो सकती है जो हर रोज़ इन परिस्थितियों का हिस्सेदार होता है। समझने की बात बस इतनी भर सी ही है कि आपको और मुझे, हम सबको अपना दृष्टिकोण बदलने की ज़रूरत है। इस दुनिया में रहते हुए अगर आपको ख़ुशी पानी है तो सबसे पहले अपने आप को बदलना होगा और बदलाव कि उम्मीद किसी और से नहीं करनी है । बस यही इन कहानियों का सारांश है। बदलाव..... आपसे शुरू और आप पर खत्म, पर इसकी निरंतरता हमेशा बनी रहनी चाहिए। 

धन्यवाद।   

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अरुण गुप्ता

मैं, समाज का ही हिस्सा हूँ , मेरी कहानियां भी इसी समाज का हिस्सा हैं , कहीं पर आप किसी किरदार में हैं और कहीं मैं किसी किरदार में हूँ।  अब ये देखना है कि हम सही किरदार में हैं या सारी ज़िन्दगी विलेन का ही किरदार निभाएंगे। मध्यमवर्गीय परिवार में मैं पला बढ़ा , छोटे से शहर में सब सपने बनते देखे और बिखरते हुए भी देखे , समाज को खुद से लड़ते भी देखा और बनते हुए भी देखा।  इन ४० बसंत में मैंने कभी धूप को झुलसते देखा और कभी बारिश को राहत देते हुए देखा। हर उजाड़ को देखा और हर बदलाव को भी देखा, और यही सब मेरी कहानियों का भी हिस्सा बन गए और मेरी ज़िन्दगी का भी।  यहाँ से तो शुरुआत हुई है पर बदलाव आते रहेंगे और मैं आप से हमेशा रूबरू होता रहूँगा। 

आपका

अरुण

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