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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रस्तूत कृति दोस्ती मेरी दृष्टि में
हिन्दी लेखन विधा में उपन्यास लेखन एक सशक्त विधा है। इस विधा के माध्यम से देश, काल, परिस्थिति के अनुसार इतिहास, सामाजिक स्थिति, एवं संस्कृति की तात्कालिक वस्तुस्थिति का चित्रण करके समाज को दिशादर्शित किया है।
इस औपन्यासिक परम्परा का निर्वाह करते हुए कवि, लेखक, एवं उपन्यासकार श्री चौथमल जैन द्वारा लिखा गया ‘दोस्ती’ उपन्यास निश्चित रूप से पठनीय होकर सम्मान योग्य है। प्रस्तूत उपन्यास के पात्रों का बचपन से मरने तक का सामन्जस्य बिठाकर उपन्यासकार ने जिस प्रकार कृति का दुखान्त किया है वह लेखक के दोस्ती का आदर्श प्रस्तूत करने के लक्ष्य को प्रतिपादित करता दिखाई देता है।
उपन्यास की विशेषता यह है कि यदि कोई पाठक इसे एक बार पढ़ना शुरू कर देता है तो उसे इसको पूरा पढ़ना उसकी मजबूरी हो जाती है। किसी भी सफल लेखन के लिये कृति में यह विशेषता लाना लेखक के सफल कला पक्ष को प्रतिपादित करती है। जिसमें श्री जैन सा. पूर्णत: सफल हुए हैं।
जीवन प्रकाश आर्य ‘प्रध्यापक’
शिक्षा महाविद्यालय उज्जैन (म.प्र.)
चौथमल जैन
प्रस्तूत उपन्यास दोस्ती के लेखक श्री चौथमल जैन मूलत: ग्राम मक्सी जिला शाजापुर (म.प्र.) के निवासी है। आपका जन्म इसी ग्राम में श्री कन्हैयालाल जी जैन के यहा़ँ 15 अप्रेल 1958 को हुआ। 11 वर्ष की अल्पायु में ही आपके सर से पिता का साया उठ गया। सामान्य परिवार होने के कारण आर्थिक समस्या से जूझते हुए माता श्रीमती केशरबाई ने 4 बहिनों सहित आपके 6 सदस्यीय परिवार का पालन-पोषण बड़े उद्यम एवं साहस से किया। आपका प्रारम्भिक शिक्षण ग्राम मक्सी में हुआ। कमजोर आर्थिक स्थिति होने के कारण आपने पढ़ाई से बचे समय में ग्राम के बसस्टे्ंड पर नमकीन तथा मूमफली के पेकेट बसों में बेंच कर माताजी को परिवार संचालन में सहयोग किया।
कोटुम्बिक समस्याओं से संघर्ष करते हुए भी आपने सन् 1975 में हायरसेकंडरी परीक्षा कक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर शिक्षक के रूप में चयनित होकर शासकीय सेवा प्रारम्भ की। स्वपाध्यायी परीक्षर्थि के रूप में एम.काम., एम.ए. हिन्दी तथा अन्य योग्यताऐं अर्जित करते हुए सफलता पूर्वक शिक्षण कार्य कर रहे हैं।
आपकी धर्मपत्नी श्रीमती निर्मला जैन उच्च शिक्षा प्राप्त होकर प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत है, और आपके परिवार का सुयोग्य संचालन कर रही है।
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