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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकभी कभी बंद आँखों के सपनो से ज्यादा खुली आँखों के सपने पूरे हो जाते हैं बस जज्बा हो इसलिए हम अक्सर कहते रहते है कि सपने देखते रहना चाहिए | जितना ज्यादा सपने हम देखेंगे उतना ज्यादा हम उन्हें पूरा करने कि तरफ बढ़ते रहेंगे |इस किताब मे हम बात करेंगे आम से दिखने वाले सपने कैसे आपको ख़ास बना सकते है समाज कि प्रतिक्रिया क्या होती है , क्या मुश्किलें आती है आदि सबसे पहले हम बात करेंगे सपनो की कि आखिर सपने होते क्या है ?
बिना लड़े हार मानाने से बेहतर है कि लड़ते लड़ते हार जाना क्योकि इससे जो अनुभव मिलता है वह अमूल्य होता है और चीज़ो को देखने समझने का नजरिया भी बदलता है | किसी भी चीज़ को अलग अलग नजरिये से देखना चाहिए हर चीज़ को एक ही तराजू मे नहीं तोलना चाहिए | क्योकि कभी कभी हम लोगो को या चीज़ो, परिस्थियों को समझ नहीं पाते कभी कभी जैसे जो दिखती है उससे काफी अलग होती है |
विनय नामदेव
सागर (एमपी) शहर के पास एक छोटे से शहर में जन्म हुआ , जहाँ मैं अपना अधिकांश बचपन बिताया । छोटी -कच्ची सड़कों पर और गेहूँ के खेतों के आसपास खेलना बस यही मेरे बच्चपन के दिन थे।
एक बड़े शहर में जाने के बाद, मैंने लेखन और रंगमंच के लिए अपने जुनून की खोज शुरू की। मैंने इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है, इसलिए मूल रूप से मैं एक इंजीनियर हूं लेकिन दिल से मैं एक लेखक हूँ , एक कहानीकार हूँ । अपनी पढ़ाई के दौरान, मैं आमतौर पर कविताएँ लिखता था, लेकिन अब मुझे कहानियाँ लिखने में ज्यादा दिलचस्पी है। वर्तमान में, मैंने कल्पना और गैर-कथा श्रेणियों में लगभग 6 किताबें लिखी हैं।
अपनी कहानियों से, मैं लोगों को कई संभावनाओं की एक अलग यात्रा में ले जाना चाहता हूँ । और मेरा अंतिम लक्ष्य अधिक बेहतर लिखना है ताकि लोग मेरे काम का आनंद ले सकें।
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