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Vivek SreedharAuthor of Ketchup & Curryमेरे नज़रिये में कविता या शायरी एहसासों की अभिव्यक्ति हैं | एहसास जो कभी हमारे रोज़मर्रा के जीवन के अनुभवों से मिलते हैं या फिर कभी हम उन्हें अपनी कल्पनाओं के समंदर में गोते लगाकर महसूस करने की कोशिश करते हैं | एहसास जो कभी मुझे खुद महसूस हुए, कभी दूसरों के हालातों को देखकर महसूस हुए या फिर कभी मैंने खुद कल्पनाओं के भँवर में जाकर उन्हें खोजने की कोशिश की | मेरी इस कविता और शायरी संग्रह में भी कुछ ऐसे एहसासों की जड़ें हैं | एहसास जो आपको अपने लगेंगे, जिनकी महक आपको भी कभी न कभी ज़रूर महसूस हुई होगी |
जब भी मैं अपने एहसासों को अपने कलम की स्याही बनाकर पन्नो की धरा पर उतरता हूँ तो मुझे जो राहत मिलती है, उससे बेहतर सुख मेरे लिए और कुछ भी नहीं |
"बस यही तो है जो रूह को सुकून देता है |
बाकी सब तो महज़ जिश्म के घाव कुरेदते हैं ||"
ऋषुराज सिंह
उत्तरप्रदेश की ज़मी पर पैदा हुआ और गुजरात की धरती पर बड़ा हुआ, ऋषुराज, एक नौकरीपेशा आम आदमी है, जो अपनी 9 से 5 की जॉब, परिवार और अगर समय बचा तो दोस्तों में मसरूफ़ रहता है | हर आम आदमी की तरह इसके पास भी जीवन खुल कर जीने के लिए समय की क़िल्लत है | लेकिन कभी कभी कुछ ख़याल उसके ज़हन में टेबल टेनिस खेलने लगते हैं, और उसे तब तक बेचैन रखते हैं, जब तक वो उन ख़यालों को शब्दों में ढालकर अपनी डायरी के पन्नो की प्यास न बुझा दे |
ऐसे ख़याल जो कभी डूबते सूरज को देखकर उभरते हैं या फिर कभी दो बुज़ुर्गों को बिना किसी हिचकिचाहट के एक दूसरे का हाथ पकड़कर सरे राह चलते हुए आते हैं या अपने जीवन में आने वाले नए महमान की ख़ुशी से उसके ज़हन में आपो आप आ जाते हैं | ये किताब उन्हीं ख़यालों की संकल्पना है | इश्क़, चाहे वो मिलन की रूहानियत का मज़ा दे या बिछुड़ने का बेहिसाब गम इनकी कविता का मूल भाव रहे हैं | लेखक या कवि बनने की खुद की खोज में ये इनका पहला कदम है |
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