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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palवर्तमान समय में जब दुनिया तानाशाही के भंवर में उलझती दिख रही है, तब मानवता के मसीहा महात्मा गांधी सहसा हमारी स्मृतियों में एक प्रकाश पुंज की भाँति आ जाते हैं। सत्य के साथ साहस व अहिंसा के साथ उनकी अनंत यात्रा व्यक्ति को अनायास अपनी ओर आकर्िृात करती है। जैसे‐जैसे हम गांधीजी को समझने का प्रयास करते हैं, वैसे‐वैसे वे हमारी आंतरिक संवेदना को कुरेदते जाते हैं। उन गुत्थियों को हम बार‐बार समझने का प्रयास करते हैं, जो तात्कालिक संघृाोर्ं में दिखाई देती थीं और वर्तमान में भी वे अनसुलझाी सी प्रतीत होती हैं। हम पर जो ऋण है, उन गुत्थियों को सुलझा कर ही उतारा जा सकता है।
डॉ. रामबाबू मेहर
डॉ. रामबाबू मेहर : 20 नवंबर 1976 को जन्मे डॉरामबाबू मेहर मूलत: बैरसिया (भोपाल) के निवासी हैं। कला में स्नातक और इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधियाँ लेने के उपरांत वे 16 र्वृाों से मध्यप्रदेश के विभिन्न शासकीय महाविधालयों में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। स्नातक स्तर से ही वे इतिहास से प्रभावित रहे हैं और वर्तमान राजनीतिक व सामाजिक घटनाक्रमों को ऐतिहासिक परिप्रक्ष्य में देखने और उनके हल खोजने के प्रति रुचिशील रहे हैं। इतिहास को विभिन्न दृिृटकोणों से परखने के हिमायती डॉमेहर एक संवेदनशील विचारक और बेहतरीन उभरते लेखक के रूप में कार्यशील हैं।
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