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10 Years of Celebrating Indie Authors
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजे सुशील की पुस्तक दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बिताए उनके छात्र जीवन का एक संस्मरण है। 2016 में कन्हैया कुमार की गिरफ़्तारी के बाद मीडिया द्वारा विश्वविद्यालय के बारे में फैलाई जा रही ग़लत सूचनाओं के बीच, यह पुस्तक उन लोगों के लिए एक आईना है, जिन्हें लगता है कि जेएनयू परिसर सिर्फ़ एक युद्ध का मैदान है, जहां वामपंथी और दक्षिणपंथी आपस में टकराते रहते हैं। लेकिन पुस्तक पढ़ते वक़्त, पाठक जेएनयू के छात्र-जीवन की एक अभूतपूर्व यात्रा पर निकलता है और महसूस करता है कि यह वास्तव में एक ऐसा ऐतिहासिक संस्थान है जो छात्रों को अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करने में सहायक रहा है। यह पुस्तक पाठक को कॉलेज कैंपस या छात्र जीवन की एक ऐसी भावनात्मक यात्रा पर ले जाएगी, जहां आप लेखक के साथ कुछ देर और ठहरे रहना चाहेंगे।
जे सुशील
जे सुशील बीबीसी में लंबे समय तक काम करने के बाद फ़िलहाल अमेरिका में रह कर शोधकार्य कर रहे हैं। हिन्दी और अंग्रेज़ी में अख़बार-पत्रिकाओं में लगतार लेखन के साथ ही उन्होंने वीएस नायपॉल की किताब ‘ए टर्न इन द साउथ’ और एस हुसैन ज़ैदी की किताब ‘माई नेम इज़ अबू सलेम’ का हिन्दी अनुवाद किया है। उनका डिजिटल हिन्दी उपन्यास ‘हाउस हसबैंड की डायरी’ चर्चित रहा है। लेखन के साथ-साथ वह अपनी पार्टनर के साथ कम्युनिटी और परफ़ॉर्मेंस आर्ट भी करते हैं।
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