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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजीवन का योद्धा.. इसमें लिखी कहानी काल्पनिक है.. परन्तु इसके माध्यम से समाज में मानवता और सहायता का भाव दर्शाने का प्रयास किया है.. इंसान होने की सबसे बड़ी खूबी और पहचान अपने अंदर इंसानियत रखना होता है.. जो आज के समय में दौलत और शोहरत के नीचे कहीं दब गयी है.. इसके अतिरिक्त “मीडिया” जोकि देश की इज़्ज़त होती है.. कैसे कहाँ और किस तरह से इसका दुरूपयोग हो रहा है.. ये भी कहानी के माध्यम से कुछ वाक्य में समझाने का प्रयास किया गया है.. अब हर कार्य को करने में मुश्किलों का सामना अवश्य करना पड़ता है.. मुश्किलों से हमें अनुभव होता है.. और ये अनुभव आगे जीवन में काम आता है.. मुश्किलों का कुछ उदाहरण भी इस पुस्तक में दिया गया है.. और यह पुस्तक भारत देश की संस्कृति और मर्यादा को बनाये रखते हुए बहुत सरल भाषा “हिंदी” में लिखी गयी है..
दीपिका श्रीवास्तव
दीपिका श्रीवास्तव
“दीपिका श्रीवास्तव” जिन्होने इस पुस्तक को लिखा है.. ये मेडिकल प्रोफेशन से हैं.. इनका मानना है कि कोई भी कलाकार कभी छोटा नहीं हो सकता.. क्यूंकि इनके विचार से कलाकार का अर्थ है कि “जो कला को आकार दे”.. तो दीपिका श्रीवास्तव ये कहती हैं.. कि जो कला को आकार दे रहा है.. वो कभी छोटा कैसे हो सकता है.. “जिस प्रकार माता पिता से बच्चे की पहचान होती है.. उसी प्रकार कलाकार से कला की पहचान होती है”.. अतः इस पुस्तक में इनके ऐसे ही कुछ अन्य विचार व्यक्त हैं..
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