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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रस्तुत पुस्तक लेखक की रामायण पर गहन शोध का प्रतिफल है जिसमें प्रबंधन और जीवन मूल्य को उजागर किया गया है। प्रबंधक के किसी संस्थान में कुशल नेतृत्व के लिए उसकी वाक् कला, संप्रेषण, टीम वर्क के लिए अनुप्रेरणा और धन्यवाद ज्ञापन आवश्यक तत्व हैं। साथ ही विचार मंथन एवं निर्णय क्षमता एवं संगठन क्षमता का होना आवश्यक है। इसके लिए सिद्धान्त और जीवन मूल्य भी आवश्यक तत्व हैं।
श्री राम ने जीवन के हर क्षेत्र में कुशल प्रबंधन एवं व्यवहार में जीवन मूल्यों का प्रत्यक्ष परिचय दिया है। वे एक कुशल वक्ता और सजग श्रोता है। उनमें निर्णय क्षमता के साथ परोपकार, करुणा, दया, क्षमा, सबके प्रति गहरी संवेदना तथा प्रेम का गुण है, वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं । इन्हीं कारणों से इन्होंने वानरों की सेना संगठित कर राक्षस राज रावण को मारा और सर्वत्र रामराज्य की स्थापना की। रामायण के प्रसंग आज भी प्रबंधन एवं जीवन मूल्यों के आदर्श हैं जिन्हें अपनाकर संस्थान प्रगति कर सकता है।
राज किशोर ओझा
‘रामायण में प्रबंधन और जीवन मूल्य’ के लेखक राजकिशोर ओझा एक विद्युत अभियंता हैं और अंग्रेजी तथा हिन्दी से एम.ए. हैं। इन्होंने अभी तक दो दर्जन साहित्यिक और प्रबंधकीय विषयों पर पुस्तकें लिखीं। इन्हें चार इस्पात उद्योगों में उच्च पदों पर काम करने का अवसर मिला और वहाँ तथा भारत के अनेक संस्थानों में सुरक्षा संस्कृति के विकास में योगदान दिया। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार को मान्यता देते हुए भारत सरकार ने इन्हें पुरस्कारों से सम्मानित किया साथ ही स्वयं सेवी संस्था (उड़िसा) से इन्हें धनवंतरी पुरस्कार और भारतीय साहित्य परिषद (बोकारो) से साहित्य श्री की उपाधि मिलीं। आप पटना विश्वविद्यालय तथा ब्रह्मपुर विश्वविद्यालय के अतिथि व्याख्याता रहे। आप भारती साहित्य परिषद के उपाध्यक्ष तथा विहंगम योग संस्थान के महामंत्री भी रहे। यह पुस्तक रामायण के गहन शोध का प्रतिफल है।
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