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Manohar Parrikar Off the Record / मनोहर पर्रीकर ऑफ द रेकॉर्ड

Author Name: Waman Subha Prabhu | Format: Paperback | Genre : Biographies & Autobiographies | Other Details

‘मनोहर पर्रीकर ऑफ द रेकॉर्ड’ से पाठकों को कुछ अलग जानकारी देने के लेखक के प्रयास को दर्शाता है और इस पुस्तक को पूरी तरह से पढ़ने के बाद, यह स्पष्ट है कि लेखक ने इसमें बड़ी सफलता हासिल की है। यह मनोहर पर्रीकरजी का चरित्र नहीं है। और न ही एक राजनीतिक अंग द्वारा उनके पूरे जीवन पर लिखी गई है। बल्की मनोहर पर्रीकरजी से जुड़ी कई यादें उन्होंने यहा पर साझा की है। लगभग 26-27 वर्षों तक मनोहर पर्रीकरजी के साथ लेखक की निकटता थी। और उन्होने उन सभी वर्षों के बारें खुलकर लिखा है। यह पुस्तक निश्चित रूप से पठनीय है क्योंकि यह उस समय के संदर्भ में सभी अच्छे और बुरे अनुभवों को प्रस्तुत करती है। मनोहर पर्रीकरजी के बारे में यह खुली किताब है, ऐसा हम कह सकते है। इसमें ऐसी बहोत सारी यादे है, जो शायद ही किसी को याद हो या पता हो।


मनोहर पर्रीकरजी के राजनीतिक जीवन में कई घटनाओंका सरल और संक्षिप्त शैली में विश्लेषण किया है। यह पुस्तक विद्वानों के लिए एक दस्तावेज हो सकती है क्योंकि इसमें कई संदर्भ हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पत्रकारिता में अपने अनुभव के आधार पर वामन प्रभू द्वारा लिखी गई यह पुस्तक पाठकों को पसंद आएगी। पर्रीकरजी के साथ उनकी निकटता किताबों में शामिल कई पुरानी तस्वीरों से भी स्पष्ट है।

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वामन सुभा प्रभू

गोवा के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में 51 साल से वामन सुभा प्रभू काम कर रहे हैं। गोमंतक से उन्होने पत्रकारिता शुरू की। उसके बाद केसरी (गोवा प्रतिनिधि), लोकसत्ता (गोवा प्रतिनिधि), पुढारी (निवासी संपादक) और गोवादूत (संपादक) ऐसी उनकी पत्रकारिता की एक लंबी यात्रा है। उन्हें गोवा के पहले न्यूज़ चैनल, गोवा न्यूज़लाइन को लॉन्च करने का श्रेय दिया जाता है, और वह चैनल के संस्थापक संपादक थे। बाद में उन्होंने गोवा जैन टीवी के संपादक के रूप में काम किया। उन्होंने ज़ी-अल्फा टीवी के गोवा संवाददाता और हाल ही में कोल्हापुर के 'मराठीयन' समाचार चैनल के गोवा संपादक के रूप में भी काम किया।


प्रसिद्ध 'गोविंद मंगेश लाड' पत्रकारिता पुरस्कार समवेत अन्य पुरस्कारासे उन्हे सन्मानित किया जा चुका है । उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक और खेल मुद्दों पर विस्तार से लिखा है।


'मनोहर पर्रीकर ऑफ द रेकॉर्ड' उनकी पहली पुस्तक है और इस पुस्तक का मराठी संस्करण प्रकाशन के बाद मात्र पंद्रह दिनों में खत्म हो गया ।  यह पुस्तक उसी पुस्तक का हिंदी अनुवादित संस्करण है।

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