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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजितेन्द्र जयन्त सन 1994 से शिक्षा के क्षेत्र में प्राध्या पक के पद पर कार्य कर रहे हैं। नित्य प्रति बाल एवं युवा मन से उनका साक्षात्कार होता रहता है। सामाजिक सरोकारों से रूबरू प्रत्येक नागरिक की तरह से उन्हें भी होना होता है। कुछ बातें दिल में रह जाती है, कुछ दिमाग में कोलाहल के रूप में विद्यमान रहती हैं। आज के दौर में उपभोक्ता वादी व उन्मादी संस्कृति, सामाजिक एवं राज नैतिक संस्कृति में गिरावट के विरोध में स्वाभाविक प्रतिक्रिया के रूप में जितेन्द्र जयन्त की रचनाएँ अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज कराती हैं। स्वाभाविक रूप से कम बोलने वाले रचनाकार अपनी संजीदगी और संवेदनाओं को अपने शब्दों में सार्थक रूप प्रदान करते हैं। यदि इन बातों पर मौन धारण रखा जाए तो कायरता होगी और मौन के भंवर में संवेदनाएं एक भीषण चक्रवात में परिवर्तित हो सकती हैं। अत: शब्द ही हैं जो भावनाओं को कि नारे लगाते हैं। यहीं कारण है इस पुस्तक के सामने आने का जिसका नाम है “मौन किनारे”।
जितेन्द्र जयन्त
जितेन्द्र जयन्त हरियाणा में शिक्षा के क्षेत्र में प्राध्या पक के रूप में कार्यरत हैं। शिक्षण में लंबा अनुभव है। शिक्षक का कवि होना कर्म के साथ –साथ समाज के मर्म के प्रति संवेदनशील होने का प्रमाण है। अपनी भावनाओं का सम्प्रेषण ब्लॉग एवं सोशल मीडिया के माध्यम से निरंतर होता रहता है पर अपनी काव्या नुभूति को शब्दों के माध्यम से पुस्तक के रूप में सार्थक परिणति तक पहुंचाने का पहला प्रयास है “मौन कि नारे”।
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