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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"मेरे शब्द जाल" - मेरी भावनाओं को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने का एक प्रयास है। संभवतः इन्हें कविता और शायरी की तकनीकी रूप से निर्धारित विधाओं में बाँटना सही नहीं रहेगा। इन्हे मेरा भावों का दर्पण समझ लीजिये। जब कभी भी मैंने अपने भावों को बोल कर व्यक्त नहीं कर पाया, उन्हें मैंने शब्दों में उद्धृत कर दिया। यहाँ आप को करुण रस मिलेगा तो वीर रस भी मिलेगा; श्रृंगार रस है तो भयानक रस भी है; वीर रस है तो शांत रस भी है। जिस भी विषय पर लिखा, खुल कर लिखा। ये शेर शायद मेरे भावों को बखूबी बयां करता है:
वो चाहते हैं कि सर झुका रहे उनके सज़दे में,
ज़मीर अभी ज़िंदा है, कह दो कि क़हर बनूँगा।
राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेय का जन्म गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) जिले के एक गाँव अतरौली में हुआ। राहुल ने अपनी शुरू की पढ़ाई गाँव में करने के बाद उच्च शिक्षा के लिये पहले प्रयाग (इलाहाबाद) और बाद में जयपुर गये। करीब 15 वर्षों से वो जन-स्वास्थ्य (Public Health) के क्षेत्र में कार्यरत हैं और देश का लगभग हर प्रान्त घूम चुके हैं। राहुल अभी एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था में कार्यरत हैं और दक्षिण एशिया एवं अफ्रीका के देशों में काम कर रहे हैं। कविता और ग़ज़ल लेखन उनके लिये शौक है जिसे वो समय मिलने पर पूरा करते रहते हैं। राहुल की अधिकतर कवितायें सम-सामयिक विषयों पर केंद्रित होती हैं पर समय-2 पर उन्होंने श्रृंगार रस का भी प्रयोग किया है। राहुल का अपने बारे में कहना है कि:
कभी थोड़ा कभी ज्यादा लिखता हूँ, कभी हल्का कभी गाढ़ा लिखता हूँ।
विचार तो आते हैं बहुत से, मगर, मैं अँधेरे के बदले उजाला लिखता हूँ।
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