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Meri Pahchan Abhi Baki Hai / मेरी पहचान अभी बाकी हैं ...Joojhtha Akela Mein/…जूझता अकेला मैं

Author Name: Dr. Ranjit Singh | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मनुष्य के ह्रदय में उठ रही तमाम भावनाओ की अभिव्यक्ति का एक नाम कविता है।  अपने ह्रदय में आंदोलित हो रही व्याकुलता को शब्दों का ताना बाना बुनकर, उन्हें मूर्त रूप देने के लिए कविता एक सशक्त माध्यम है।   अपने ह्रदय के भावों को शब्दों का ताना बाना बुनते हुए शब्दों द्वारा रचित शिल्प होती है कविता। मेरी कविताये मेरे विचारों की ही अभिव्यक्ति हैं।  अपने आप से तथा परिस्थितियों से लड़ते हुए अपने आप को ढूंढने का प्रयास है मेरी कविता।  कहा जाता है की हर मनुष्य अपार सम्भावनाओ का सागर होता है और अपनी इच्छाशक्ति से हनुमान की तरह सागर को भी लांघा जा सकता है, जरूरत होती है किसी एक जामवंत की जो उसे उसकी वास्तविक शक्ति का आभास करवाए।  कई बार ये जामवंत हमारे बीच ही होता है और इसे बस पहचानने की आवश्यकता  है।   इस तरह से अपनी पहचान को पहचान कर इस पहचान को नया रूप दिया जा सकता है।  प्रस्तुत काव्य "मेरी पहचान अभी बाकी है"  इसी क्रम का एक हिस्सा है।  अपनी सारी कविताओं में मैंने अपने अंदर चल रहे द्वन्द की अभिव्यक्ति को व्यक्त करने की कोशिश की हैं। इन कविताओं में मैंने, अपनी पहचान, मान तथा स्वाभिमान को बनाये रखने की चेष्टा, तो कभी अपने समक्ष रहे व्यक्तित्वों के अंतर्विरोध को शब्दबद्ध करने का प्रयास किया हैं।

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डॉ. रणजीत सिंह

डॉ. रणजीत सिंह भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के प्रबंध विज्ञानं विभाग में वित्तीय प्रबंध के शिक्षक है तथा इनका शोध, लेखन और पठन-पाठन इसी विषय के इर्द गिर्द घूमता रहा है। बाद में कुछ साहित्य का चस्का लगा तो अंग्रेजी में 'प्रिसाइडिंग बाबू' नाम का उपन्यास लिख डाला जो पाठको द्वारा काफी पसंद भी किया गया। कुछ हिंदी साहित्य के लोगों के संपर्क में आये तो हिंदी कविता में रस आने लगा और कालांतर में कुछ कविताये भी लिखी। प्रस्तुत काव्य संग्रह उसी का परिणाम है।  

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