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Meri Zindagi Ki Safar Mein / मेरी ज़िंदगी के सफर में

Author Name: Vijay Tare | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

मैंने 'मेरी ज़िंदगी के सफ़र में' में बहुत से विषयों को शामिल किया है परन्तु मेरा प्रमुख उद्देश्य विश्वास, प्यार, आशावादिता व साहस पर अपनी भावनाओं से अवगत कराना है। यह महत्वपूर्ण हैं क्योंकि आज की दुनिया में बहुत से लोग संशय में है कि वास्तविक प्यार व वास्तविक विश्वास क्या होता है तथा वे इतने परिष्कृत हैं कि किसी भी चीज़ के लिए अपनी सच्ची भावनाओं व वास्तविक साहस का प्रदर्शन नहीं कर पाते।

 

'मेरी ज़िंदगी के सफ़र में' एक दर्शन है, परन्तु इसमें कुछ सिद्धान्त शामिल हैं। ये विचार, कार्यविधियां, एवं तकनीक एक पूरा जीवन जी लेने से आती हैं। मानव विकास का अनुभव, साथ ही साथ जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों से जुड़े विश्व के उच्च व्यावसायिक लोगों से व्यक्तिगत लगाव शामिल हैं। इस पुस्तक में विचार व तकनीकों के उपयोग का अर्थ होगा कि आप दूसरे लोगों के अनुभवों से सीख रहे हैं न कि उनके सिद्धान्तों से । विकसित होने का यही एकमात्र व्यावहारिक तरीका है क्योंकि हर चीज़ को अपने व्यक्तिगत अनुभव से सीखना बहुत कुंठित करने वाला, बहुत अधिक समय लेने वाला और बहुत अधिक खर्चीला होता है ।

'मेरी ज़िंदगी के सफ़र में पुस्तक में मैंने 800 से अधिक समरूपतायें, उदाहरण, एक लाईन के सन्देश, सशक्त मुहावरे, मानव रूचि की कहानियाँ तथा विनोदी घटनाओं का प्रयोग किया है। उद्देश्य आपकी रूचि को थामे रखना एवं आपको पूरे सन्देश में शामिल न किये रखना है। आशा है आप भी पहली बार में छपी 27 पुस्तकों के पाठकों की तरह होंगे I

जो उत्साहपूर्वक ज़ोर देकर कहते हैं कि यह ऐसी पुस्तक है जिसे आप कभी ख़त्म नहीं करते। आप इसे उठाकर किसी भी पृष्ठ से खोलकर मानसिक अल्पाहार के लिए पढ़ सकते हैं, किसी अध्याय को पूरे मानसिक भोजन के लिए पढ़ सकते हैं अथवा जीवन के ढंग के लिए इसे मुखपृष्ठ से आखिरी पृष्ठ तक पढ़ सकते हैं। फिर आप चल पड़ते हैं। आपको ईश्वर की कृपा प्राप्त हो और यदि आप इस पुस्तक के विचारों का उपयोग करेंगे I

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विजय तारे

डॉ. विजय तारे इंदौर के निवासी हैं। 1959 में, उन्होंने मुंबई के नायर अस्पताल से डेंटिस्ट में एमडीएस पूरा किया। (मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी)। अपने चिकित्सा क्षेत्र के अलावा, उन्होंने शास्त्रीय संगीत में बीए किया है। पिछले छत्तीस वर्षों से वह इंदौर में एक दंत चिकित्सक के रूप में काम कर रहा है।

उन्हें 1979 में बैंकॉक में आयोजित दंत सम्मेलन में अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत करने का अवसर मिला। इसी तरह, उन्होंने 1919 में इंग्लैंड में आयोजित विश्व दंत सम्मेलन और वर्ष 19 में न्यूयॉर्क डेंटल सम्मेलन, अमेरिका में भाग लिया। वह वर्तमान में इंदौर में निजी मेडिकल कॉलेज में संकाय सदस्य हैं। उन्होंने 'प्रणव मंत्र ओम' विषय पर कई स्थानों पर भाषण दिए हैं।

उनकी अंग्रेजी पुस्तक 'हेल्थ एंड ओरल हाइजीन' दिल्ली के 'बुक महल' के प्रकाशन गृह द्वारा प्रकाशित की गई है। उन्होंने "हार्ट (आर्ट ऑफ़ लिविंग) नहीं" विषय पर कई लेख लिखे हैं। पिछले साल, उन्होंने मुंबई में मैत्रेय प्रकाशन द्वारा प्रकाशित दो मराठी पुस्तकें, म्यूजिक थेरेपी और हीलिंग ’और जागृति ज्ञान’ प्रकाशित कीं। वे बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। उनकी कई किताबें हिंदी में भी प्रकाशित हुई हैं।

 

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