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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palये अपना है मुकद्दर, हम जलेंगे जलजले जैसे,
जनम सौ बार लेंगे, पर रहेंगे सिलसिले ऐसे।
अंधेरे मिट सके ना, जब फानूसे-शम्मे-महफिल से,
चिरागे-खूने-दिल हमने जलाये जुगनुओं जैसे।।
रहे हम साथ उनके, फिर भी तन्हा बादलों जैसे,
बरसतें फिर रहे आँखों से बनकर बदलियों जैसे। ये अपना है...
......प्रेम की उदात्त भावनाओं से भरी दो युवतियों की कहानी जो एक ही समय पर एक ही व्यक्ति से प्यार कर बैठीं- एक दूसरे की भावनाओं से अनभिज्ञ।
....एक शान्त चित्त, धीर-गम्भीर, झील के पानी जैसी शीतल और ठहराव लिये और दूसरी...... हवा के चंचल झोंकों से लहराती, इठलाती, कल-कल बहती हुयी नदी के जल जैसी - समुद्र में अस्तित्व विहीन होने की आकांक्षा के साथ। .....एक कमल के फूल सी शान्त और सुर्ख, और दूसरी कुमुदनी के फूल जैसी शोख.... चंचल।
....हाय रे उनकी दीवानगी.....कोई अपेक्षा नहीं, कोई आकांक्षा नहीं.... कोई शिकवा नहीं, कोई शिकायत नहीं.... हर दम लुट जाने को तैयार, हर दम मिट जाने को तैयार।
......देव किसका हो पाया या फिर क्या किसी का हो पाया ?.... या फिर वह पापी हो गया।
जाति-धर्म से उन्नत धरातल पर अवस्थित, दिल विदीर्ण करने वाली एक अप्रतिम प्रेम कहानी... पापी देव।
डा. विनोद
डा. विनोद, एम. बी. बी. एस., डी.सी.एच. – एक विशेषज्ञ चिकित्सक होते हुये भी मूल रूप से एक कलाकार एवं साहित्यिक-अभिरूचि के व्यक्ति हैं। एक सफल एवं व्यस्त चिकित्सक होने के बावजूद, मानवीय सम्वेदनाओं एवं सामाजिक सरोकारों ने उन्हें सदैव उद्वेलित एवं सम्वेदनशील बनाये रखा है। उन्होंने चित्रकारिता, लेखन, गायन, अभिनय एवं निर्देशन आदि सभी क्षेत्रों – में अलग-अलग समय पर सफलता पूर्वक कार्य किया है।
घर की चहार - दीवारी से निकलकर बाहर आने वाली महिलाओं पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध उनकी लिखी कहानी पट्कथा एवं गीत पर फिल्म 'गार्जियन्स' का निर्माण हो चुका है एवं उन्होने कई फिल्मों में काम भी किया है।
विभिन्न समय में लाला लाजपत राय चिकित्सालय, राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय, इ. एस. आई. चिकित्सालय एवं संजय गाँधी चिकित्सालय में काम करने के पश्चात वर्तमान में एक सर्व-प्रिय चिकित्सक के रुप में सावित्री नर्सिंग होम में कार्यरत हैं।
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