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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palतेज प्रकाश के बीच सात धनुर्धारी मानस नवयुवक योद्धा इन भयानक राक्षसों के समक्ष प्रकट होते हैं। इनके हाथ में जो लता का टुकड़ा था वो धनुष के रुप में परिवर्तित हो चुका है। इन अज्ञात दिव्य योद्धाओं को अचानक यहां प्रकट हुआ देखकर पिशाचों और दैत्यों की दुष्ट सेना में भय का वातावरण उत्पन्न हो उठा। वहीं इन दुष्टों के साथ युध्द में घायल सैनिक और सुरी योद्धाओं के मन प्रफुल्लित हो उठे। तथा नई चेतना और स्फूर्ति के साथ फिर से उठकर लड़ने को तैयार हो गए। अब तो एक नाग योद्धा भी अपनी मूर्च्छा त्याग कर इन वीर नवयुवकों का साथ देने के लिए पुनः उठ खड़ा हुआ।
अजय सिंह चाहर
मेरा जन्म आगरा के एक छोटे से गाँव नगला कारे में धार्मिक किसान परिवार में हुआ था। मेरे बचपन में ही मेरी माँ का देहांत होने के बाद मेरे पिताजी और दादा दादी ने पाला था। मेरे दादाजी मेरे गाँव के सबसे सम्मानित और प्रतिष्ठित आदमी थे। वो मुझे सबसे अधिक प्रेम करते थे। मेरे दादा दादी जी के देहांत के बाद मेरा चयन केंद्रीय पुलिस बल में होगया। जॉइनिंग के एक वर्ष बाद ही मेरी शादी हो गई। और आज मेरे दो बच्चे हैं। मुझे स्कूल टाइम से ही लिखने की इच्छा थी। लेकिन मैं वर्तमान में जीता रहा और उसी जीवन तथा जीवन के उतार चढावों व संघर्षों को एन्जॉय करता रहा।
मुझे पता था कि एक वर्दीधारी सिपाही लेखक तो कभी भी बन सकता है। लेकिन एक लेखक जब चाहे तब वर्दी पहनकर देश की सेवा नहीं कर सकता। इसलिए भारत के कई स्थानों में रहते हुए मैंने देशसेवा भी की और इसका गर्व और असीम आनंद भी प्राप्त किया।
मैं कोई अनुभवी लेखक नहीं हूं। मैं तो लेखन क्षेत्र में अभी गल्ली बॉय हूँ। लेकिन कोरोना काल में खाली समय में मैंने लिखना प्रारम्भ किया। मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दो मूल मन्त्रों पहला आपदा को अवसर बनाना है से लिखना प्रारम्भ किया। और दूसरे लोकल से वोकल को मानकर सदैव अपनी मातृभाषा हिंदी में ही लिखने का सोचा। इन्ही शब्दों के साथ जय हिंद। धन्यवाद।
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