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Vivek SreedharAuthor of Ketchup & Curryहर किसी की कुछ कहानियां होती हैं और कुछ कहानियां हर किसी की होती हैं। पंचम कथा संग्रह है वैसी ही कुछ कहानियों का जिन्हें पढ़कर आपको लगेगा जैसे ये कहानी पहले भी सुनी है, फिर लगेगा कि अरे! ये तो मेरी ही कहानी है। जीवन के कुछ हँसते - गुदगुदाते और कुछ गंभीर - उदास पलों को फिर से जीने के लिए पंचम कथा पढ़ें।
अनिमेष कुमार मिश्र
खुद के बारे में लिखना सबसे आसान भी है और सबसे मुश्किल भी. चाहो तो अपनी तारीफों के पुल बाँध दो और चाहो तो खुद को ही आइना दिखाते हुए जमाने से अपनी सारी बुराइयाँ बाँच दो. जितना मैं खुद को समझ पाया हूँ, संवेदनशील हूँ, सिनेमा देख के रोता हूँ. संवेदनहीन भी, गुस्सा आ जाए तो आगा-पीछा नहीं दिखता. दिल का भला हूँ, किसी बुजुर्ग को देख के बात जरूर करता हूँ. बुरा भी बहुत हूँ, बच्चों को कभी भीख नहीं देता. बहुत कुछ करना चाहता हूँ जिंदगी में, शायद कर ही लूँगा। उम्मीद है तो सपने हैं, सपने हैं तो जिंदगी है…..
चीजों को नजदीक से देखने, परखने की समझ है. हाँ, इंसान को बिलकुल भी नहीं परख पाता मैं. फर्क भी क्या पड़ता है, खुद को ही परख लें, वही बहुत है. पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ. मशीन को इंसान की तरह सोचना सीखाते हुए कहीं कभी खुद मशीन ना बन जाऊं, इसी कोशिश में ये एक जगह ढूंढी है मैंने जहाँ जिंदगी के तजुर्बे, अच्छे-बुरे, लोगों से साझा करूँ. क्या पता किसी का भला ही हो जाए मेरे तजुर्बों से. ना भी हुआ भला तो बुरा नहीं होगा, इसका पूरा विश्वास है.
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