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Sacred Revenge : Dharm Himsa Tathaiv Chah / सेक्रेड रिवेंज : धर्म हिंसा तथैव चः

Author Name: Manish Pandit 'kashyap' | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

दूर, प्राणघातक घात-प्रतिघातों के बीच नागभट्ट ने राजदेवी की ओर दृष्टि डाली। एक क्षण के लिये उसका हृदय काँप उठा। परंतु राजदेवी को तलवार हाथ में लिये कापालिको को ललकारता देख नागभट्ट ने हृदय में नवीन साहस का संचार होता महसूस किया। 
शुरू-शुरू में कापालिक भी राजदेवी के इस पराक्रम और आक्रमकता पर कुछ देर के लिये जड़ होकर रहे गये थे। परंतु अंततः वे थे तो कापालिक ही। भला एक स्त्री से परास्त हो सकते थे ! वहीं दूसरी ओर, राजदेवी भी उन क्षण विशेष में चाहे जितनी भी दुर्दमनीय युद्धवृत्ति का परिचय दे रही हो, परंतु उसका प्रतिरोध इतना भी शक्तिशाली नहीं हो सकता था कि वह कापालिकों को युद्धक्षेत्र छोड़कर भागने पर विवश कर देता। जो थोड़े बहुत अंगरक्षक बच गये थे वे भी अब एक के बाद एक धराशायी होते जा रहे थे। दूर, नागभट्ट भी युवा-रक्त की गर्मी से बल पा रहे कापालिकोें के भीषण प्रहार झेलने के बाद थकने लगा था। अश्रु-स्वेद-रक्त से धुंधलाई आँखों से उसने राजदेवी की क्षीण होती अप्रतिम झाँकी को देखा। राजदेवी सर्वत्र छा रहे अंधकार के विरूद्ध जूझ रही टिमटिमाती लौ की भाँति कापालिकों से दो-दो हाथ कर रही थी। 
और अंततः तलवार का एक घातक प्रहार और नागभट्ट भूमि पर यूँ गिरा जैसे कोई प्रकाश-स्तंभ ढहता है : आगे बढ़ रहे अंधकार के पदचापों की घोषणा करता हुआ। उसकी बुझती आँखों के सम्मुख अपनी लाज और अपने पुत्र के प्राणों की रक्षा के लिए तलवार लहराती एक वीरांगना की वायुलीन होती ओजपूर्ण प्रतिमा कौंधी। फिर सर्वत्र अंधकार ! एक महान वृद्ध योद्धा जीवन-मरण की अनंत यात्रा पर निकल गया। 

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मनीष पंडित 'काश्यप'

लेखक परिचय

नाम : मनीष पंडित

जन्म : 1 मई 1979

शिक्षा : अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर एवं बी.एड. 

कार्यक्षेत्र : शिक्षण

निवास : हरदा (मप्र)

ई-मेल : shourya.man.mp@gmail.com

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