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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइस किताब का शीर्षक ’सफ़हे ख़्वाब के’ अपने-आप में परिभाषित तथा भवनापूर्ण है। मैंने अपने काव्य-संग्रहण में काफी सरल तथा बोलचाल में उपयोग किए जाने वाले आम शब्दों का उपयोग किया है। यह काव्य-संग्रहण, एक तरह से मेरी स्मृतियों का संग्रहण है। मैंने ख्वाबों में जो भी देखा या मन में जो भी ख्याल आए, उन्हें कागज़ पर उतारने की कोशिश की है। मैंने बंदिशों में बिना रहकर, स्वच्छंद होकर तथा आज के जमाने के परिवेश को दृष्टिगत रखकर लिखा है, इसलिए कई कविताओं में पाठकों को घरेलु सामग्रियां जैसे ’स्नैक्स’, ’आईब्रो’, ’खिड़कियां’ आदि शब्द भी मिलेंगी, जो मन के भाव को स्वतः प्रस्तुत करती मिलेंगी। इसमें प्रेमी-युगल, बिछड़े प्रेमी, नव-विवाहिता, दाम्पत्य जीवन सभी भाव के लिए कविताएं हैं। मैंने अपने चित्रकार होने का भरपूर फायदा उठाते हुए काव्य-संग्रहण में जीवंत काव्यों जैसे ’मेरे आफिस का कारिडोर’, ’ट्रैफिक हवलदार’, ’सांझ’, ’अलसाया सूरज’ में सजीव चित्रण किया है, जो पाठकों को ऐसा प्रतीत कराएगा, मानो वे किसी पर्दे पर सजीव पिक्चर देख रहे हों।
कई कविताओं में आम बोल-चाल में उपयोग होने वाले उर्दू लफ्जों का भी सटीक उपयोग है। इसके लिए किसी डिक्शनरी की आवश्यकता नहीं होगी। यह काव्य संग्रह, सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिए है। इस संग्रह की प्रथम कविता ’मां’ शब्द से प्रारम्भ की गई है, जो मैंने अपनी प्रथम गुरू मां को समर्पित किया है। वहीं प्रेम भरी कविताएं कहीं-ना-कहीं अपनी अर्धांगिनी को केन्द्रित कर लिखा है।
चन्दन कुमार झा
चंदन कुमार झा, कोई साहित्यकार या कवि नहीं है, लेकिन अपनी भावनाएं सरल भाषा में प्रस्तुत करना जानते हैं। चंदन का जन्म सन् 1986 में बिहार राज्य अंतर्गत दरभंगा जिले के गौरा-बौड़ाम प्रखंड के एक छोटे से गांव महुआर में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, वृन्दावन, (पश्चिम चम्पारण, 1998-05) से हुई। चूंकि पिता जी बिहार सरकार की सेवा में कार्यरत थे तथा पश्चिम चम्पारण जिले में पदस्थापित थे, इसलिए ये पश्चिम चम्पारण जिले के होकर रह गए। वर्ष 2005 में पिता की आकस्मात मृत्यु के कारण, परिवार का सम्पूर्ण भार, इनके कंधे पर आ गया। अपने पिता के द्वारा सौंपे गए पारिवारिक दायित्वों का तत्परतापूर्वक निर्वहन करते हुए समाहरणालय संवर्ग में दायित्वों का भी अच्छे तरीके से निर्वहन कर रहे हैं। लेखन की शुरूआत इन्होंने 11वीं कक्षा के दौरान वर्ष 2004 में ही कर दी थी। वर्ष 2020 के शुरूआत में इन्होंने सोशल साईट्स पर कई कविताएं रखीं। मित्रों, अग्रज एवं परिवार के सदस्यों के प्रोत्साहन पर, इनके द्वारा लगातार लिखना जारी रखा गया। ये इनकी प्रथम रचना है, और ये आगे भी सीधी और सरल भाषा मे लिखने के लिए कृत-संकल्पित हैं।
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